अडानी-अंबानी के पारिवारिक दफ्तर को देना होगा खर्च का ब्योरा? क्या है इस खबर की सच्चाई

अडानी-अंबानी के पारिवारिक दफ्तर को देना होगा खर्च का ब्योरा? क्या है इस खबर की सच्चाई

सेबी का आया बयान

मार्केट रेगुलेटेर सेबी ने मीडिया में चल रही उन खबरों का खंडन किया है, जिसमें दावा किया गया है कि अंबानी-अडानी जैसे बड़ी बिजनेस फैमिलीज को अपने खर्च का ब्योरा देना होगा. लेकिन इस पर सेबी का बयान आया है. बयान में रेगुलेटरी बॉडी वह पारिवारिक कार्यालयों के लिए किसी नियामक ढांचे पर विचार नहीं कर रहा है. यह स्पष्टीकरण उन मीडिया रिपोर्टों के बाद आया है जिनमें कहा गया था कि बाजार नियामक पारिवारिक कार्यालयों को अपने दायरे में लाने की संभावना तलाश रहा है. हालांकि, सेबी ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का मार्केट रेगुलेटर सेबी अब फैमिली ऑफिस को अपने रडार पर लाने की सोच रहा है, क्योंकि भारत के अरबपति स्टॉक एक्सचेंज में बड़ा रोल प्ले करने लगे हैं. कुछ लोगों ने ब्लूमबर्ग को बताया कि सेबी इस बारे में बात कर रहा है कि फैमिली ऑफिस को अपनी संपत्ति, इनवेस्टमेंट और रिटर्न की जानकारी देनी होगी. साथ ही, उनके लिए एक अलग कैटेगरी बनाकर इनवेस्टमेंट को रेगुलेट करने की बात भी चल रही है.

रिपोर्ट में किया गया दावा

रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि इस साल की शुरुआत में सेबी ने कुछ बड़े फैमिली ऑफिस के साथ मीटिंग की और दूसरों से लिखित में प्रपोजल मांगे, ताकि ये समझ सके कि ये बड़े परिवार पब्लिकली ट्रेडेड सिक्योरिटीज में कैसे इनवेस्ट करते हैं और इससे क्या रिस्क हो सकते हैं. सेबी ने एक बयान में कहा कि हम अभी इस मामले में कोई जांच या कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. भारत में फैमिली ऑफिस के लिए अभी कोई खास नियम नहीं हैं, इसलिए सूत्रों ने बताया कि नए नियम कब और कैसे बनेंगे, ये अभी साफ नहीं है. सेबी का ये कदम दिखाता है कि भारत के सुपर-रिच परिवार अब इतने बड़े इनवेस्टर बन गए हैं कि उनके इनवेस्टमेंट मार्केट में हलचल मचा सकते हैं.

भारतीय इंडस्ट्री में कई फैमिली ऑफिस स्टार्टअप्स, प्राइवेट इक्विटी और आईपीओ में बड़े इनवेस्टर बनकर उभरे हैं. सूत्रों के मुताबिक, सेबी ने कुछ बड़े फैमिली ऑफिस के साथ बातचीत में ये भी पूछा कि क्या उन्हें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) की तरह हिस्सा लेने की इजाजत दी जाए. इससे उन्हें आईपीओ में प्राथमिकता मिलेगी और वे म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस कंपनियों या विदेशी बड़े फंड्स की तरह मार्केट में बराबरी का मौका पा सकेंगे. पहले सेबी ने अनरेगुलेटेड फैमिली इनवेस्टर को ऐसी सुविधा देने से मना किया था.

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