Actress Sandhya Death: 37 साल बड़े डायरेक्टर से शादी, एक गाने ने बनाया करियर, पॉपुलर होली सॉन्ग के पीछे थी शानदार केमिस्ट्री

Actress Sandhya Death: 37 साल बड़े डायरेक्टर से शादी, एक गाने ने बनाया करियर, पॉपुलर होली सॉन्ग के पीछे थी शानदार केमिस्ट्री

एक्ट्रेस संध्या की प्रेम कहानी

Actress Sandhya Shantaram Love Story: नवरंग फिल्म के होली के गीत अरे जा रे हट नटखट से पॉपुलैरिटी हासिल करने वाली लोकप्रिय एक्ट्रेस संध्या शांताराम ने 87 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. BJP के नेता आशीष शेलार ने ये दुखद जानकारी साझा की और शोक व्यक्त किया. उनके निधन के बाद इंडस्ट्री में शोक की लहर है. संध्या का योगदान फिल्म इंडस्ट्री में खास रहा. उन्होंने अभिनय के साथ ही अपने नृत्य की शैली के लिए भी खासी लोकप्रियता हासिल की.एक्ट्रेस ने अपने करियर में बड़ी सफलता हासिल की और अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी वे चर्चा में रहीं.

जब असल जिंदगी में लव मैरिज का अभी ठीक तरह से चलन भी नहीं आया था उस दौर में ही संध्या ने अपने जीवन का बड़ा फैसला लिया था. उन्होंने फिल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर वी शांताराम से शादी कर ली थी ये जानते हुए भी कि दोनों की उम्र में 37 साल का फासला है. लेकिन दोनों की जोड़ी शानदार रही और इसने मिलकर फिल्म इंडस्ट्री में भी एक गहरी छाप छोड़ी.

V Shantaram Actor

कैसे शुरू हुई थी वी शांताराम-संध्या की प्रेम कहानी?

दरअसल संध्या को वी शांताराम ने ही डिसकवर किया था और उनपर भरोसा भी जताया था. बात साल 1951 की है. ये वो वक्त था जब वी शांताराम अपनी अपकमिंग फिल्म अमर भोपाली की कास्टिंग के लिए कलाकार ढूंढ रहे थे. उन्हें संध्या के रूप में एक्ट्रेस तो मिल गई थी लेकिन इसमें वी शांताराम का एक स्वार्थ भी छिपा था. प्रोड्यूसर उस समय जयश्री के साथ शादी कर चुके थे लेकिन दोनों के जीवन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था.

वहीं संध्या और जयश्री की आवाज में काफी सिमिलैरिटी थी. वी शांताराम को संध्या में जयश्री की झलक दिखने लगी. साथ ही वे संध्या के डांस से भी काफी इंप्रेस हुए थे. वी शांताराम ने संध्या को इसके बाद झनक झनक पायल बाजे और पिंजरा जैसी फिल्मों में भी ब्रेक दिया जो संध्या के जीवन की सबसे बड़ी फिल्में साबित हुईं. इसके बाद से संध्या ने ज्यादातर फिल्में वी शांताराम के लिए ही कीं.

Sandhya Shantaram Actress Pic

होली गीत की तैयारी और आपस में बढ़ता प्यार…

वी शांताराम अपने समय के बड़े डायरेक्टर और प्रोड्यूसर माने जाते थे. उनका इंडस्ट्री में रुतबा था. जब वे जयश्री से अलग हुए तो उसी साल उन्होंने संध्या को अपना हमसफर बना लिया. दोनों प्रोफेशनल तौर पर तो साथ थे ही अब वे पर्सनल लेवल पर भी साथ हो चुके थे. अब दोनों की संगत का असर फिल्मों की सफलता पर चार चांद लगाने लगा था. ऐसा ही साल 1959 में आई फिल्म नवरंग में देखने को मिला. इस फिल्म से संध्या सिर्फ हिंदी ऑडियंस ही नहीं बल्कि दुनियाभर में पॉपुलर हो गई थीं. वजह थी इस फिल्म के गाने अरे जा रे हट नटखट की मेकिंग. ये गाना जिस समय बना था उस समय काफी लोकप्रिय रहा था और आज भी लोग इसे उसी चाव से सुनना पसंद करते हैं.

वैसे तो अगर आप इतिहास के पन्नो को पलटें तो पाएंगे कि नवरंग फिल्म के सारे गाने काफी अच्छे थे. ये गाने हिंदुस्तानी क्लासिकल राग पर आधारित थे. फिल्म का गाना तू छुपी है कहां राग चंद्रकौंस पर आधारित था जिसे आशा भोसले और मन्ना डे ने गाया था. वहीं आधा है चंद्रमा सॉन्ग राज मालकौश पर आधारित था. ये गाना तो और भी ज्यादा पॉपुलर रहा था. लेकिन इन गानों से भिन्न और ज्यादा बड़ा हिट रहा महेंद्र कपूर और आशा भोंसले का गाना अरे जा रे हट नटखट. ये गाना इतना बड़ा हिट साबित हुआ कि आज भी फिल्म की रिलीज के 65 साल बाद भी इसकी चमक कम नहीं हुई है.

Sandhya Shantaram Actress Pics

वी शांताराम ने किया था संध्या को गाइड

कहा जाता है कि इस गाने के लिए वी शांताराम ने काफी मेहनत की थी और वे इसे बहुत खास भी बनाना चाहते थे. वहीं इस गीत के लिए ही संध्या ने खास तौर पर शास्त्रीय नृत्य सीखा था. ये वो दौर था जब फिल्मों में कोई कोरियोग्राफर नहीं हुआ करते थे. ऐसे में इस गाने के डांस स्टेप्स खुद संध्या और निर्देशक वी. शांताराम तैयार करते थे और हर छोटी-छोटी बारिकियों का ध्यान रखते थे. इसमें उनके अपोजिट एक्टर आगा को कास्ट किया गया था.

असली हाथी-घोड़ों के बीच हुई थी शूटिंग

कहा जाता है कि वी शांताराम इस गाने के साथ कोई भी कोताही नहीं चाहते थे और इसे एकदम रियल रखना चाहते थे. इसके लिए सेट पर असली हाथी-घोड़ों का इंतजाम किया गया था. लेकिन जानवरों के बीच भी बिना घबराए संध्या ने परफॉर्म किया और आज नतीजा सामने है. आप जितने बार भी इस गाने को सुनेंगे कभी भी बोर नहीं होंगे. इस गाने में भले ही नृत्य करने वाले कलाकारों ने सारा क्रेडिट लिया लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस होली सॉन्ग के इतने सक्सेसफुल होने के पीछे वी शांताराम की विजनरी सोच और मेहनत भी थी. आज भले ही संध्या हमारे बीच नहीं रहीं लेकिन इस एक गाने से ही उन्होंने लोगों के दिलों में हमेशा-हमेशा के लिए जगह बना ली.

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