
स्नान को हम साधारण सा कार्य समझते हैं। इसलिए लोग किसी भी समय पर स्नान कर लेते हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार स्नान को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। क्योंकि स्नान करने के बाद रही शरीर की शुद्धि होती है और जब तक शरीर शुद्ध नहीं हो तब कोई कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में स्नान करने के नियम बताए गए हैं और स्नान शास्त्रों की विधि से किया जाए तो हमें कई लाभ मिल सकते हैं। वहीं आपने देखा होगा कि कई स्त्रियां किसी भी दिन अपने बाल धो लेती हैं, जो कि गलत है। आइए जानते हैं शास्त्रों के अनुसार स्नान करने के नियम और स्त्रियों को किस दिन अपने बाल नहीं धाने चाहिए…
सुहागिन महलाओं को एकादशी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन अपने बाल नहीं धाने चाहिए। वहीं किसी भी त्योहार पर बाल नहीं धोने चाहिए। इसलिए महिलाओं को एक दिन पहले अपने बाल धोने चाहिए। वहीं अगर महिला एकादशी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन बाल धोती हैं, तो उनके जीवन में दरिद्री छा सकती है। साथ ही मां लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं। साथ ही घर परिवार में अशांति उत्पन्न हो सकती है। क्योंकि अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा उच्च या नीच अवस्था में होते हैं। महिलाएं सोमवार के दिन अपने बाल धो सकती हैं।
वहीं मंगलवार के दिन सुहागिन महिलाओं को बाल नहीं धोने चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आपको आर्थिक परेशानी हो सकती है। साथ ही वैवाहिक जीवन में बाधाएं आ सकती हैं। बुधवार के दिन सुहागिन स्त्रियां बाल धो सकती हैं। वहीं गुरुवार के दिन स्त्रियों सहित पुरुषों को भी अपने बाल नहीं धोने चाहिए। गुरुवार को बाल धोने से घर में दरिद्रता का वास रहता है।
साथ ही स्त्रियां अगर बाल धोती हैं, तो उनके पति की उम्र कम हो सकती है। वहीं अगर किसी परिस्थिति वश अपने बाल धोने पड़े तो आपको बालों पर पिसी हुआ हल्दी लगानी चाहिए। वहीं स्त्रियां शुक्रवार के दिन बाल धो सकती हैं। साथ ही शनिवार के दिन स्त्रियों को बाल नहीं धोने चाहिए। ऐसा करने से शनि देव रुष्ट हो सकते हैं। इसके अलावा गुरुवार को नाखून काटना भी धन हानि का संकेत हैं। इससे घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है।