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ढाका। बांग्लादेश में एक और चौंकाने वाली घटना ने मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में व्याप्त अराजकता को उजागर कर दिया है। इस घटना में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी के सदस्यों ने देश के प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल हई कानू को जूतों की माला पहनाकर उनका अपमान एवं उत्पीड़न किया।
शेख हसीना के शासन में प्रतिबंधित था जमात-ए-इस्लामी
शेख हसीना सरकार को अपदस्थ किए जाने तक जमात-ए-इस्लामी पार्टी आतंकरोधी कानून के तहत प्रतिबंधित थी। इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रहे लगभग दो मिनट के वीडियो में दिखाई दे रहा है कि जमात के कई युवा कार्यकर्ता बुजुर्ग कानू को जूतों की माला पहना रहे हैं और उनसे चटगांव में कोमिल्ला जिले के लुडियारा गांव में स्थित अपना घर छोड़कर जाने को कह रहे हैं।
इस दौरान एक व्यक्ति ने कहा, “क्या आप पूरे गांव के लोगों से माफी मांग सकते हैं?” तो कानू ने हाथ जोड़कर सभी से माफी भी मांगी। कानू रविवार सुबह स्थानीय बाजार गए थे, जहां कुछ लोगों ने उन्हें पकड़ लिया था। आवामी लीग की सरकार गिरने के बाद कानू अपने गांव लौट गए थे।
पाकिस्तानी जानवरों से भी ज्यादा हिंसक व्यवहार किया
एक बांग्लादेशी न्यूज पोर्टल ने कानू के हवाले से कहा, “मैंने सोचा था कि इस बार मैं गांव में आराम से रह सकूंगा। मगर उन्होंने मेरे साथ पाकिस्तानी जंगली जानवरों से ज्यादा हिंसक व्यवहार किया।”
गौरतलब है कि ‘बीर प्रतीक’ बांग्लादेश का चौथा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है और कानू उन 426 लोगों में शामिल हैं जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अदम्य साहस प्रदर्शित करने के लिए प्रदान किया गया था। खबरों में बताया गया है कि कानू को धमकाने वाले लोगों में एक व्यक्ति दुर्दांत आतंकी था जो 2006 में दुबई चला गया था और यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बनने के बाद वापस लौटा है।
हसीना की पार्टी बोली- देश की गरिमा पर हमला
अंतरिम सरकार के गठन के तत्काल बाद जमात पर से प्रतिबंध हटा लिया गया था। इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने कहा कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के नायकों के साथ इस तरह का व्यवहार सहन नहीं किया जा सकता और यह देश की गरिमा व इतिहास पर सीधा हमला है। पार्टी ने देशवासियों से इसके विरुद्ध खड़े होने का अनुरोध किया।