
अफगानिस्तान की टीम पर बैन लगाने की मांग (फोटो-पीटीआई)
ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) से अफगानिस्तान की सदस्यता निलंबित करने की मांग की है. ह्यूमन राइट्स वॉच का मानना है कि जब तक अफगानी महिलाओं और लड़कियों को खेल में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी जाती, तब तक पुरुष टीम पर भी बैन लगाया जाए. HRW ने ICC के अध्यक्ष जय शाह को एक पत्र लिखकर तालिबान की ओर से महिलाओं के खेल पर लगाए गए प्रतिबंध पर परिषद की चुप्पी की आलोचना की है. इस पत्र को शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया. HRW ने इसे ‘मौलिक मानवाधिकारों की अनदेखी’ बताया.
HRW ने आईसीसी के नियमों का दिया हवाला
HRW ने जोर देकर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट नियमों के तहत, सदस्य देशों के पास एक महिला टीम होनी चाहिए ताकि उनकी पुरुष टीम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टूर्नामेंट्स में हिस्सा ले सके. अफगानिस्तान में अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से महिला क्रिकेट टीम नहीं है. HRW ने ICC से संयुक्त राष्ट्र मानकों के अनुरूप एक मानवाधिकार नीति अपनाने और लागू करने, अफगानिस्तान की पुरुष राष्ट्रीय टीम को निलंबित करने और निर्वासन में रह रही अफगान महिला टीम का समर्थन करने की मांग की.
HRW की ग्लोबल इनिशिएटिव्स की निदेशक मिंकी वर्डन ने कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि उसके तंत्र व्यवस्थित लैंगिक भेदभाव को नजरअंदाज न करें या उसे प्रोत्साहित न करें.’ संगठन ने ICC से अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) का उदाहरण अपनाने का भी आह्वान किया है. IOC ने विदेशों में रह रही अफगान महिला एथलीटों को मान्यता दी है और उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिससे उन्हें 2024 पेरिस ओलंपिक में भाग लेने का अवसर मिलेगा. ICC ने अभी तक HRW के अनुरोध का कोई जवाब नहीं दिया है.
अफगानिस्तान की कई महिला खिलाड़ियों ने छोड़ा देश
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से, अफगानिस्तान में महिलाओं को क्रिकेट सहित किसी भी खेल में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. कई महिला एथलीट, जिनमें क्रिकेटर भी शामिल हैं, उन्होंने या तो अपने करियर को छोड़ दिया है या देश छोड़कर चली गई हैं क्योंकि उन्हें उत्पीड़न का डर है. अफगानिस्तान ICC का एकमात्र सदस्य देश है जिसके पास महिला टीम नहीं है. अफगानिस्तान की कई कॉन्ट्रैक्टेड महिला क्रिकेटर ऑस्ट्रेलिया में बस गई हैं, जहां वे ट्रेनिंग कर रही हैं. उनका कहना है कि उनकी टीम ‘अफगानिस्तान की लाखों महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती है, जिनके अधिकारों को छीन लिया गया है.’
अफगानिस्तान की क्रिकेटर शबनम अहसन ने कहा, ‘यह बहुत दर्दनाक और निराशाजनक है. मुझे समझ नहीं आता कि आईसीसी हमारी मदद करने के लिए कुछ क्यों नहीं कर रही है. हमने इतनी मेहनत की है, और हर दूसरी टीम की तरह हम भी मदद के हकदार हैं.’