
मुंगेर.ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर निवासी 91 वर्षीय डोनाल्ड सैम्स को भारत से इस कदर प्रेम था कि वह अपनी मौत भारत में चाहते थे. उन्होंने अपने परिजनों के समक्ष अपनी यह इच्छा प्रकट की थी कि उनकी मौत के बाद उन्हें भारत के किसी ईसाई कब्रिस्तान में दफनाया जाए.
उन्होंने इसको लेकर अपनी वसीयत में भी यह बात लिखी थी. संयोग कुछ ऐसा बना कि जब वह 12वीं बार भारत भ्रमण पर पहुंचे तो उनकी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि 26 सदस्यीय ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ जब वह गंगा के रास्ते मुंगेर होते क्रूज से पटना जा रहे थे, तो उनकी तबीयत बिगड़ गई. उन्हें मुंगेर के नेशनल अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. मौत के बाद जिला प्रशासन ने भारतीय दूतावास को इसकी सूचना दी. इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई दूतावास की सहमति और मृतक की पत्नी एलेस की सहमति से मुंगेर में ही उन्हें दफनाने का निर्णय लिया गया.
डीएम के आदेश पर मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति की गई, परन्तु पत्नी के मना करने उनके शरीर का पोस्टमार्टम नहीं करवाते हुए इसाई रीति रिवाज से अंतिम संस्कार के लिए चर्च के पादरी का भी प्रबंध किया गया. मुंगेर के डीएम अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि दूतावास के आदेश पर अंतिम संस्कार के लिए चर्च के पादरी का प्रबंध कराते हुए मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई. पत्नी एलेस के आग्रह पर बिना पोस्टमार्टम के मृतक डोनाल्ड सैम्स का अंतिम संस्कार चुरंबा स्थित इसाई कब्रिस्तान में सम्पन्न हुआ. यहां उन्हें ईसाई रीति रिवाज के अनुसार दफनाया गया. डोनाल्ड सैम्स की मौत के बाद अन्तयेष्टि होने तक क्रूज बबुआ घाट पर शुक्रवार की रात से शनिवार दोपहर तक खड़ा रहा.
आस्ट्रेलियाई दूतावास की सहमति के बाद बिहार के मुंगेरम इसाई कब्रिस्तान चुरंबा में पत्नी और परिचितों के समक्ष डोनाल्ड सैम्स को दफनाया गया. मृतक के पिता ब्रिटिश फौज में भारत में कार्यरत थे और उनकी इच्छा भारत में ही दफन होने की थी.
डोनाल्ड सैम्स क्यों चाहते थे भारत में दफन होना?
साथ में आए मृतक के दोस्तों ने बताया कि मृतक डोनाल्ड सैम्स आस्ट्रेलियाई हाईकमान के रिटायर्ड अफसर थे. उनकी पत्नी एलेस ने बताया कि डोनाल्ड सैम्स के पिता अंग्रेज शासन काल में ब्रिटिश आर्मी में असम में काम करते थे. अपने पिता की याद तो ताजा रखने के लिए डोनाल्ड सैम्स जब भी भारत आते थे तो असम जरूर जाते थे. यह उन लोगों की 12वीं भारत यात्रा थी. हर यात्रा में वे लोग गंगा के रास्ते कोलकाता से पटना तक यात्रा करते थे. भारत से डोनाल्ड को इतना लगाव था कि उन्होंने वसीयत में लिख दिया था कि मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार भारत में ही हो और हुआ भी वही.