छोटे बच्चों को गोद में लेते समय न करें ये गलती, बिगड़ सकती है सेहत “ • ˌ

छोटे बच्चों को गोद में लेते समय न करें ये गलती, बिगड़ सकती है सेहत “ • ˌ

नवजात बच्चा

छोटे बच्चे के रोने पर उसे गोद में झूलाना हमारे यहां आम बात है.अक्सर माता-पिता छोटे बच्चे को गोद में झूलाकर सुलाने की कोशिश करते रहते हैं. माता-पिता को लगता है कि शिशु को गोद में रखकर हिलाने और घुमाने से बच्चा शांत रहता है, लेकिन क्या आपको पता है कि गोद में बच्चे को झूलना कितना सेफ है. क्या बच्चे को गोद में रखकर हिलाने से कोई नुकसान नहीं होता. इस बारे में जानने के लिए हमने गाजियाबाद के जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग के डॉक्टर से बातचीत की. उन्होंने इस बारे में क्या कुछ कहा जानते हैं.

डॉक्टरों और शिशु विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चे के रोने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे भूख, गैस, थकान, या असहज महसूस करना. ऐसे में उसे गोद में लेकर झूलाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. झूलाने से बच्चा सुरक्षित और आरामदायक महसूस करता है, जिससे उसका रोना कम हो सकता है. इसके अलावा झूलने से शिशु को सोने में आसानी होती है, लेकिन ज्यादा तेज झूलाना बच्चे के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है.

बच्चे को लग सकता है झटका

गाजिायाबाद के जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग में डॉ विपिन चंद्र उपाध्याय कहते हैं कि अक्सर हमारे यहां महिलाएं अपने शिशु को सुलाने या खिलाने के लिए उसे गोद में झूला झुलाने की कोशिश करती हैं. उन्हें लगता है कि बच्चा इसमें आराम महसूस कर रहा है, लेकिन गोद में झुलाना नुकसान भी कर सकता है. जोर-जोर से हिलाकर झूला झूलाना बच्चे के संपूर्ण स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. डॉ उपाध्याय बताते हैं कि हिलाने के दौरान शिशु को झटका लग सकता है. झटका लगने की वजह से उसके मस्तिष्क में रक्तस्राव का भी खतरा बढ़ सकता है. यहां तक कि बच्चे की जान तक जा सकती है. इसलिए माता-पिता को अगर बच्चे को गोद में लेकर ठहलना या झूलाना है तो उसे धीरे-धीरे झूलाएं ताकि उसके शरीर पर तेज झटका महसूस ना हो सके.

आदत पड़ने का खतरा

डॉक्टर उपाध्याय कहते हैं कि बच्चे को अक्सर गोद में झूलाने के कई नुकसान हैं. एक बार अगर बच्चे को बार-बार गोद में झुलाने की आदत पड़ गई तो उसे छुड़ाने में कठिनाई आ सकती है. इसलिए गोद में अधिक समय तक सुलाने की कोशिश ना करें. साथ ही गोद में लेकर बच्चे को झूलाने और हिलाने से माता-पिता को पीठ और कंधों पर ज्यादा भार पड़ सकता है. साथ ही बच्चे की पीठ पर भी दबाव बन सकता है.

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