जिसे समझा जा रहा था पत्थर वो निकला खजाना, रातोंरात किसान की बदली किस्मत ) “ ˌ

जिसे समझा जा रहा था पत्थर वो निकला खजाना, रातोंरात किसान की बदली किस्मत ) “ ˌ
What was thought to be a stone turned out to be a treasure, the fate of the farmer changed overnight

फर्ज करिए कि आप किसी को महज पत्थर समझ कर इस्तेमाल कर रहे हों लेकिन जब आप को यह पता चले कि वो पत्थर बेशकीमती है तो हैरान होना सामान्य सी बात है. 80 साल पहले अमेरिका के मिशिगन में उल्कापिंड का एक टुकड़ा एक खेत में गिरा था जिसका वजन 10 किलोग्राम था. 2018 में मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने जब इसके बारे में अध्ययन के बाद जानकारी दी तो सामान्य लोगों के साथ विज्ञान जगत भी हैरान रह गया.

पत्थर निकला बेशकीमती उल्कापिंड
मिशिगन यूनिवर्सिटी की मोना सिरबेस्कू बताती हैं कि वो बिना किसी शक सुबहा के यह कह सकती हैं कि पत्थर बेशकीमती है.यह उनकी जिंदगी का सबसे मुल्यवान चीज है जिसकी कीमत बेहिसाब है. डेविड जर्क नाम के एक शख्स ने मोना से कहा था कि क्या वो उस पत्थर के बारे में अध्ययन कर सकती हैं. क्या वो पत्थर कहीं उल्कापिंड तो नहीं. मोना कहती है कि उस पत्थर की जांच के लिए एक निश्चित अंतराल पर आग्रह आता था. करीब 18 साल तक यही जवाब रहा कि वो उल्का पिंड नहीं है.अब जब उस पत्थर के बारे में गहराई से अध्ययन किया गया तो यह पाया गया कि वो ना केवल उल्कापिंड है बल्कि बेशकीमती भी है. उस पत्थर को एडमोर नाम दिया गया है. जिसमें आयरन खासतौर से निकिल की मात्रा सोच से भी कहीं अधिक है. उस उल्कापिंड में 12 फीसद निकिल है. अब यह पत्थर माजुरेक के कब्जे में कैसे आया उसकी भी दिलचस्प कहानी है.

दिलचस्प कहानी
सिरबेस्कु के अनुसार, जब माजुरेक ने 1988 में एडमोर ने मिशिगन में एक फार्म खरीदा था, तो पिछले मालिक ने उसे संपत्ति के चारों ओर दिखाया था, और देखा कि शेड के दरवाजे को खोलने के लिए एक बड़ी, अजीब दिखने वाली चट्टान का इस्तेमाल किया जा रहा था. जब माजुरेक ने निवर्तमान मालिक से चट्टान के बारे में पूछा, तो उसे बताया गया कि दरवाज़ा बंद वास्तव में एक उल्कापिंड था. उस व्यक्ति ने आगे कहा कि 1930 के दशक में उसने और उसके पिता ने रात में अपनी संपत्ति पर उल्कापिंड को गिरते हुए देखा था और जब वह टकराया तो बहुत तेज आवाज हुई थी.

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