
राष्ट्रीय जलमार्ग
राष्ट्रीय जलमार्गों पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए अगले पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा. शुक्रवार को एक सरकारी बयान में यह जानकारी दी गई. बयान के अनुसार, काजीरंगा के कोहोरा में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (आईडब्ल्यूडीसी) की बैठक में निवेश प्रस्तावों की घोषणा की गई.
बयान में कहा गया है, आईडब्ल्यूडीसी, राष्ट्रीय जलमार्गों पर बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा.
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#WATCH | Kaziranga, Assam | At the 2nd Inland Waterways Development Council meeting in Kaziranga, Union Minister Sarbananda Sonowal says, “… In the last 10 years, our cargo handling capacity has reached 133 million metric tonnes… More than Rs 60,000 crores of investment have pic.twitter.com/cl3a5HunjD
— ANI (@ANI) January 10, 2025
आईडब्ल्यूडीसी का आयोजन भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) द्वारा किया गया था. आईडब्ल्यूएआई बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) के तहत जलमार्गों के विकास के लिए नोडल एजेंसी है.
1 हजार हरिज जहाज होंगे तैयार
इस अवसर पर बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि अंतर्देशीय जलमार्गों पर हरित नौवहन को बढ़ावा देने के लिए अगले पांच वर्षों में 1,000 हरित जहाज चलाए जाएंगे.
सोनोवाल ने कहा कि कोच्चि की जल मेट्रो परियोजना की सफलता के बाद इसे गुवाहाटी सहित देश के 15 शहरों तक विस्तारित किया जाएगा. वर्ष 2023 में स्थापित आईडब्ल्यूडीसी अंतर्देशीय जल निकायों से अधिकतम आर्थिक क्षमता प्राप्त करने का एक प्रयास है.
जलमार्ग और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में प्रगति
भारत में आंतरिक जलमार्गों के विकास ने व्यापार और पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. अप्रैल-नवंबर 2024 के बीच जलमार्ग उपयोग में 7% की वृद्धि दर्ज की गई. नदी क्रूज पर्यटन में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जहां 2013-14 में केवल 3 पोत थे, वहीं 2023-24 में यह संख्या 25 हो गई. भारत बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ रणनीतिक परियोजनाओं और समझौतों के माध्यम से व्यापार और निर्बाध परिवहन को बढ़ावा दे रहा है. यह पहल न केवल आर्थिक समृद्धि लाएगी, बल्कि पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और क्षेत्रीय संबंधों को भी मजबूत करेगी.