राजस्थान में फिर चिपको आंदोलन की तैयारी! शाहबाद जंगल को बचाने के लिए जानें क्या होगा ) “ •

राजस्थान में फिर चिपको आंदोलन की तैयारी! शाहबाद जंगल को बचाने के लिए जानें क्या होगा ) “ •
Preparations for Chipko movement again in Rajasthan! Know what will be done to save Shahabad forest

बारां: प्रदेश के बारां जिले के शाहबाद के जंगल को बचाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के पर्यावरण प्रेमियों की ओर से चिपको आंदोलन के संकेत मिलने लगे हैं। क्योंकि, राजस्थान की भजनलाल सरकार शाहाबाद के जंगल में हाइड्रोपोनिक पॉवर प्लांट लगाना चाहती है। इसके लिए भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से स्वीकृति भी मिल गई है। लेकिन, इस बात की पर्यावरण प्रेमी और वन्य जीव प्रेमी विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्राण वायु और वन्यजीवों को आवास देने वाले जंगल को नष्ट न किया जाए।

सरकार की तरफ से अभी तक यह बताया गया है कि 1,19000 पेड़ 427 हेक्टेयर में पावर प्लांट स्थापित करने के लिए काटे जाएंगे। इससे बड़े क्षेत्र का जंगल नष्ट होगा। सोमवार को शाहबाद के जंगल में जंगल बचाने के मुहिम को लेकर वाटर मैन डॉक्टर राजेंद्र सिंह और पर्यावरणविद् रोबिन सिंह वहां पहुंचे। उन लोगों ने एक ही बात कही की, विनाश की शर्त पर विकास मंजू नहीं होगा। इसके लिए तमाम तरह का संघर्ष पर्यावरण विद् वन्यजीव प्रेमी करेंगे। कल इन लोगों के साथ राजस्थान के विभिन्न जिलों के पर्यावरण प्रेमी वन्य जीव प्रेमी शाहाबाद के जंगल में पहुंचे। इन लोगों ने चिपको आंदोलन जैसे संकट सरकार को स्पष्ट तौर पर दे दिए हैं।

डॉ राजेंद्र सिंह का जंगल के 27 लाख पेड़ कटने का अनुमान
वाटरमैन डॉ. राजेंद्र सिंह ने तो सरकार पर शाहबाद के जंगल में कटने वाले पेड़ों की संख्या छिपाने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने खुद इंच टेप से नाप निकालकर एक स्क्वायर मीटर में 7 पेड़ों का आंकलन किया है। सरकार के आंकलन के अनुसार 1,19000 पेड़ काटे जाएंगे। डॉ. सिंह ने अपने आंकलन में एक हेक्टेयर में 70,000 पेड़ के हिसाब से 427 हेक्टेयर में करीब 27 लाख पेड़ों के कटने का अनुमान लगाया है।

600 प्रकार के औषधि के पौधे जंगल
पर्यावरण विधि रोबिन सिंह ने के मुताबिक देश में पाए जाने वाले 800 तरह की औषधियां में से शाहबाद के जंगल में 600 प्रकार की औषधियां पाई जाती है। उन्होंने कहा जंगल में धों, करधई, अर्जुन, महुआ सहित विभिन्न प्रजातियों के पेड़ बड़ी संख्या में है। शाहबाद का जंगल देश का महत्वपूर्ण जंगल है।

सरकारी झूठ बोलती है
मैग्सैस अवॉर्ड से सम्मानित वॉटर मैन डॉ. राजेंद्र सोमवार को कॉलोनी गांव में पहुंचे ग्रामीणों से हाइड्रो एनर्जी प्लांट के बदले कटने वाले पेड़ों को लेकर चर्चा की।
मौका देखा, इस दौरान पेड़ों की कटाई के बदले जैसलमेर में 10 लाख पौधे लगाने की बात पर डॉ सिंह ने कड़ी नाराजगी जताई। स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकारी झूठ बोलती है। 25 सालों से हम लोग कंपनसेटरी एफॉरेस्टेशन कर रहे हैं। सरकार ने कितने फॉरेस्ट लगाए हैं। पेड़ कहां पर खड़े हैं। सरकार बताएं कि अभी तक यह पेड़ लगाए और यह अभी तक जिंदा खड़े हैं। जंगल प्राण वायु देते हैं और इंसान के प्राण वायु है। कंपनियां सिर्फ लाभ कमाना चाहती है। विकास विरोधी पर्यावरण प्रेमी भी नहीं है। लेकिन जंगल का पुनर्जीवन चाहते हैं। ऐसे में चिपको आंदोलन के संकेत देते हुए उन्होंने ग्रामीणों को विश्वास दिलाया कि विकास की शर्त पर विनाश को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

वाटरमैन डॉ राजेंद्र सिंह पहुंचे शाहबाद
यहां से वाटरमैन डॉ राजेंद्र सिंह और पर्यावरण विद् रोबिन सिंह शाहबाद में लगने वाले हाइड्रो पावर प्लांट वाले स्थान पर पहुंचे। जगह-जगह काटे गए पेड़ों को देखा। जोधपुर हाई कोर्ट के स्थगन आदेश के फैसले के बाद भी की गई कटाई और प्लांट लगाने को लेकर की जा रही तैयारी को अवैधानिक बताया। साथ ही यहां पेड़ों की गणना करने की नामुना विधि से टीम के साथ पेड़ों की संभावित संख्या का भी आकलन किया। मौका मुआयना करते से इन्हें पता चला की पावर प्लांट लगाने के लिए 1,19,759 पेड़ों के स्थान पर कम से कम 27 से 28 लाख पेड़ों को काटा जाएगा। जबकि सरकार संख्या छुपा रही है दोनों ने इस मामले में आवश्यक कदम उठाने की मांग की। इस दौरान इंटक बारां चैप्टर के संयोजक जितेंद्र कुमार शर्मा, चंबल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय, जितेंद्र शर्मा, प्रताप मेहता, अंकित ओझा, चिंटू भार्गव और बूंदी से विट्ठलनाथ शामिल रहे।