न चीन की चली, न पाक की दाल गली सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश बना उसका मेंबर, जिसका ‘हीरो’ है भारत जानिए पूरी खबर!! “ • ˌ

ब्राजिलिया: ब्राजील इस समय विकासशील देशों के समूह BRICS का अध्यक्ष है. सोमवार को ब्राजील ने घोषणा कर बताया है कि ब्रिक्स में एक नया पूर्ण सदस्य शामिल हो गया है. इस देश का नाम इंडोनेशिया है.

इंडोनेशिया का शामिल होना पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है. दरअसल इंडोनेशिया दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है. वहीं पाकिस्तान भी एक इस्लामिक देश है जो ब्रिक्स की सदस्यता चाहता था. साल 2023 में पाकिस्तान ने ब्रिक्स की सदस्यता के लिए आवेदन किया था.

पाकिस्तान को उम्मीद थी कि ब्रिक्स के सदस्य उसकी सदस्यता को मंजूरी देंगे. लेकिन उसे अब निराशा हाथ लगी है. ब्राजील के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि अगस्त 2023 में समूह के नेताओं ने इंडोनेशिया की सदस्यता को मंजूरी दी थी. हालांकि, इंडोनेशिया ने समूह में औपचारिक रूप से शामिल होने का तभी फैसला किया जब वहां नई सरकार का गठन हुआ. बयान में कहा गया, ‘ब्राजील सरकार इंडोनेशिया के ब्रिक्स में शामिल होने का स्वागत करती है.’

कई देश चाहते हैं ब्रिक्स की सदस्यता
साल 2009 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने मिलकर इस ग्रुप की स्थापना की थी. साल 2010 में दक्षिण अफ्रीका इसमें शामिल हुआ था. पिछले साल इस समूह में मिस्र, ईरान, इथियोपिया और यूएई को शामिल किया गया था. सऊदी अरब को भी इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है, लेकिन अभी तक वह इसमें शामिल नहीं हुआ है. तुर्की, अजरबैजान और मलेशिया ने औपचारिक रूप से सदस्यता के लिए आवेदन किया है. कुछ और देश भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं.

पाकिस्तान की मुश्किल
ब्रिक्स की सदस्यता आम सहमति से मिलती है. यानी अगर सभी सदस्य न चाहें तो कोई भी देश ब्रिक्स में शामिल नहीं हो सकता है. जाहिर तौर पर भारत ने इंडोनेशिया की सदस्यता का समर्थन किया। भारत इसमें शामिल है जो पाकिस्तान के लिए हमेशा चिंता की बात रही है. पाकिस्तानी मीडिया हर बार यह कहता रहा है कि भारत उसकी सदस्यता ब्लॉक कर रहा है. ब्रिक्स को अमेरिका एक पश्चिम विरोधी गुट के तौर पर देखता है. ऐसा इसलिए क्योंकि हाल के वर्षों में रूस और चीन डॉलर का विकल्प खोजने में लगे हैं. वह ब्रिक्स की करेंसी बनाना चाहते हैं. लेकिन भारत इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं है.

ट्रंप ने ब्रिक्स को दी थी धमकी
ब्रिक्स देशों की अपनी मुद्रा के विचार से ही अमेरिका भड़क जाता है. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिसंबर में ब्रिक्स की मुद्रा को लेकर धमकी दी थी. ट्रंप ने कहा था कि ब्रिक्स देश यह वादा नहीं करते कि वे अपनी मुद्रा नहीं बनाएंगे और न ही किसी अन्य मुद्रा का डॉलर की जगह समर्थन करेंगे तो वे 100 फीसदी टैरिफ झेलने को तैयार रहें. ब्रिक्स में अमेरिका और कोई भी पश्चिमी देश शामिल नहीं है.