नई दिल्ली. भारत की सबसे बड़ी खाद्य तेल कंपनी अडाणी विल्मर लिमिटेड (AWL) से अडाणी समूह के बाहर निकलने के बाद विल्मर अपने हाई-मार्जिन वाले एफएमसीजी बिजनेस को बढ़ाने पर जोर देगी. सूत्रों के अनुसार, विल्मर आईटीसी के समान रणनीति अपनाते हुए अपने मुख्य व्यवसाय और व्यापक वितरण नेटवर्क का लाभ उठाने की तैयारी कर रही है.

आईटीसी ने एफएमसीजी में विस्तार करने के लिए अपने मजबूत सिगरेट व्यवसाय का इस्तेमाल किया, उसी तरह एडब्लूएल अपने प्रमुख खाद्य तेल व्यवसाय का उपयोग एफएमसीजी वृद्धि के लिए आधार के रूप में करने के लिए तैयार है. मामले से अवगत सूत्रों ने कहा कि अदाणी समूह के बाहर निकलने के बाद, विल्मर भारतीय बाजार में अधिक वैश्विक एफएमसीजी ब्रांडों को पेश कर सकती है.
दिसंबर तिमाही में एडब्ल्यूएल के एफएमसीजी व्यवसाय ने मात्रा के लिहाज से सालाना आधार पर 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. कुल बिक्री की मात्रा में खाद्य और एफएमसीजी की हिस्सेदारी बढ़कर 20 प्रतिशत हो गई. इस खंड की कुल राजस्व में हिस्सेदारी बढ़कर नौ प्रतिशत हो गई.
अडाणी ग्रुप जुटाएगा 2 अरब डॉलर
इससे पहले अडाणी एंटरप्राइजेज ने बताया था कि वह अडानी विल्मर लिमिटेड में 13 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी. रिपोर्ट के मुताबिक, अडाणी एंटरप्राइजेज अडाणी विल्मर से बाहर निकलकर 2 अरब डॉलर (करीब 17000 करोड़ रुपये) से ज्यादा जुटाएगी.
बता दें कि अडानी विल्मर भारत की एक प्रमुख खाने का तेल बनाने और बेचने वारी एफएमसीजी कंपनी है. ये अडाणी ग्रुप और सिंगापुर स्थित विल्मर इंटरनेशनल के बीच 50:50 ज्वाइंट वेंचर्स के तौर पर काम करती है. अडाणी विल्मर के शेयरों ने आईपीओ के बाद जबरदस्त रिटर्न दिया था. हालांकि, रिकॉर्ड हाई से यह शेयर करीब साढ़े 7 फीसदी गिर चुका है.