
भारत ने खुलकर तालिबान का पक्ष लिया है.
भारत और अफगानिस्तान की करीबी किसी से छिपी नहीं है, भारत ने काबुल के नए प्रशासन तालिबान से भी अपने रिश्ते बनाए रखे हैं. लेकिन खुले तौर पर तालिबान के साथ भारत कम ही देखाई दिया और बैकडोर से सहयोग बनाए रखा है. अब भारत खुले तौर पर तालिबान के साइड लेने लगा है और अमेरिका को एक बड़ा झटका दिया है.
भारत ने तालिबान, पाकिस्तान, चीन और रूस के साथ मिलकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर कब्जा करने के प्रयास का विरोध किया है. अफगानिस्तान पर मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशन के डेलीगेट्स ने मंगलवार को जारी एक संयुक्त बयान में बगराम का नाम लिए बिना कहा, “अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को तैनात करने के देशों के प्रयास अस्वीकार्य हैं, क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हितों की पूर्ति नहीं करता है.”
Joint statement by Participants of the #Moscow Format Consultations on #Afghanistan
“They called unacceptable the attempts by countries to deploy their military infrastructure in Afghanistan and neighboring states”
This comes in response to #Trumps claim on #bagramairbase pic.twitter.com/4XZCt44Q6u— saurabh sharma (@saurabh1531) October 7, 2025
भारत ने यह कदम तालिबान शासित अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा से कुछ दिन पहले उठाया है.
मॉस्को में अफगानिस्तान के लिए उठी आवाज
अफगानिस्तान पर मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशन की सातवीं बैठक मॉस्को में अफगानिस्तान, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के खास प्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर आयोजित की गई. बेलारूस का एक प्रतिनिधिमंडल भी अतिथि के रूप में बैठक में शामिल हुआ.
बगराम एयरबेस पर ट्रंप ने क्या कहा था?
ट्रंप ने मांग की है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार देश के बगराम एयरबेस को वाशिंगटन को सौंप दें. बता दें अमेरिका ने पांच साल पहले तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसने काबुल से अमेरिका की वापसी का रास्ता साफ किया था. अमेरिका ने 20 साल तक तालिबान से युद्ध से लड़ा, जिसमें बगराम एयरबेस अमेरिकी सेना का केंद्र रहा था.
ट्रंप ने तालिबान को बगराम वापस न देने पर बुरे परिणामों की चेतावनी दी है. ट्रंप की मांग पर जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा है, “अफगान किसी भी परिस्थिति में अपनी जमीन किसी को भी सौंपने की अनुमति नहीं देंगे.”