
भक्त धनुर्दास की कहानी
भारतीय संत परंपरा में कई ऐसे भक्त ऐसे हुए हैं जिनका चर्चा दुनिया में होती है. उन्होंने अपनी भक्ति से दिखाया है कि सच्चा प्रेम केवल ईश्वर के लिए होता है. यही नहीं गुरु के मार्गदर्शन से मनुष्य मोक्ष के मार्ग पर चल सकता है. ऐसे ही एक विलक्षण भक्त हुए हैं भक्त धनुर्दास, जो श्रीरामानुजाचार्य के प्रिय शिष्य और भगवान श्रीरंगनाथ के परम भक्त के रूप में प्रसिद्ध हुए. उनकी भगवान श्रीरंगनाथ के शरण में आने से पहले अपनी पत्नी के दीवाने थे. उनकी इसी दीवानगी की कहानी वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ने बताई है.
प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि एक व्यक्ति पत्नी में बहुत आसक्त थे, जिनका नाम धनुर्दास था. वह बाद में बड़े भक्त हुए. उनके नेत्रों में उनकी पत्नी इतनी सुंदर थी कि वे उसके बिना बाहर सब्जी लेने भी नहीं जा सकते थे. अगर सब्जी लेने जाएंगे तो साथ में पत्नी जाती थी. वह अपनी पत्नी के पीछे छाता लेकर चलते थे. उनके ऊपर लोग हंसते थे, लेकिन उन्हें हंसी की कोई परवाह नहीं थी.
महाराज बताते हैं कि एक बार आचार्य श्रीरामानुजाचार्य को शिष्यों ने बताया कि हमने एक अजीब आदमी देखा है, जो अपनी पत्नी पर बेहदआसक्त है, तो आचार्य श्रीरामानुजाचार्य ने कहा कि ये तो काम का आदमी है क्योंकि सारीआसक्तएकत्रित हो चुकी है. इसके बाद आचार्य धनुर्दास के नजदीक गए और कहा कि मेरी तरफ देखिए. तो उन्होंने नीचे से नजरों को ऊपर किया तो देखा कि एक महात्मा है. उन्होंने श्रीरामानुजाचार्य से कहा कि मैं अपनी पत्नी से नजरें नहीं हटा सकता हूं. मुझे लगता है कि अगर मैंने दृष्टि हटाई तो जी नहीं पाऊंगा.
धनुर्दास ऐसे बन गए श्रीरंगनाथ भगवान के परमभक्त
प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि धनुर्दास की बातें सुनकर आचार्य श्रीरामानुजाचार्य बहुत खुश हुए, तो उन्होंने कहा कि क्यों इतना पत्नी से आसक्त हो. इसकी जवाब उन्होंने दिया कि मुझे अपनी पत्नी बहुत सुंदर लगती हैं. इस पर श्रीरामानुजाचार्य ने कहा कि इससे भी सुंदर अगर दिखा दिया जाए तो… जैसे ही श्रीरामानुजाचार्य स्पर्श किया वैसे ही श्रीरंगनाथ प्रकट हो गए. भगवान को देखकर धनुर्दास अवाक रह गए और हाथ से छाता छूट गया. इसके बाद वे भगवान श्रीरंगनाथ के परमभक्त बन गए.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.