लाडकी बहिन से कई योजनाएं प्रभावित… छगन भुजबल का दावा- सभी विभागों में पैसे की कमी

लाडकी बहिन से कई योजनाएं प्रभावित... छगन भुजबल का दावा- सभी विभागों में पैसे की कमी

एकनाथ शिंदे ने लॉन्च की थी योजना

पिछले साल महाराष्ट्र में जब महायुति गठबंधन विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिली थी तो इसके पीछे मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना को बड़ा कारण माना गया था. इस योजना को चुनाव से पहले लॉन्च किया गया था और महिलाओं को 1500 रुपए महीने की आर्थिक मदद देने की घोषणा की गई थी. अब इस योजना को लेकर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल ने बड़ा बयान दिया है.

उन्होंने कहा है कि लाडकी बहिन योजना से सरकार के हर साल 35 हजार करोड़ ज्यादा खर्च हो रहे हैं. इस योजना के कारण कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. बरसात और बाढ़ से किसानों का बुरा हाल है. हम उन्हें गेंहू-चावल और कुछ पैसे दे रहे हैं.

राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भुजबल ने कहा कि राज्य सरकार के सभी विभाग धन की कमी से जूझ रहे हैं. भुजबल ने यह टिप्पणी तब की जब उनके विभाग की आनंदाचा सिद्धा योजना के बंद होने की संभावना की खबरों पर प्रतिक्रिया मांगी गई.

आनंदचा सिद्धा योजना हुई प्रभावित

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना की वजह से आनंदचा सिद्धा प्रभावित हो रही है. इस योजना पर लगभग 40,000 से 45,000 करोड़ रुपए खर्च होते हैं और अगर आप इसके लिए आवंटन करेंगे तो इसका असर निश्चित रूप से अन्य जगहों पर भी पड़ेगा. इसके अलावा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को मुआवज़ा देने के लिए भी पैसा चाहिए. इसलिए, इस साल कुछ काम नहीं किए जा सकते.

सभी विभाग धन की कमी से जूझ रहे

भुजबल ने कहा कि वो इस योजना के भविष्य पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते. लेकिन एक बात तो तय है कि सभी विभाग धन की कमी से जूझ रहे हैं. लोक निर्माण विभाग और अन्य विभागों के पास 84,000 करोड़ रुपए का बकाया है. हमने कैबिनेट में इस पर चर्चा की कि ठेकेदार काम नहीं कर रहे हैं और वो हमसे बकाया राशि का भुगतान चाहते हैं. मुश्किलें तो हैं. अगर हम इसी तरह (लाडकी बहिन योजना में) पैसा बांटते रहे तो वित्तीय समस्याएं पैदा होंगी.

आनंदाचा सिद्धा योजना 2022 में दिवाली के दौरान शुरू की गई थी. इसके तहत भगवा राशन कार्ड वाले परिवारों को 100 रुपए की रियायती दर पर चार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गईं. इसी तरह की किट 2023 और 2024 में भी त्योहारों के दौरान वितरित की गईं. हर बार परियोजना की लागत 500 करोड़ रुपए थी और लाभार्थियों की औसत संख्या लगभग 1.6 करोड़ थी. इसके अलावा उनके विभाग के अंतर्गत आने वाली एक अन्य योजना शिव भोजन थाली भी बंद होने के कगार पर है.

क्या है शिव भोजन योजना

उन्होंने कहा कि आमतौर पर 2 लाख लोगों को खाना खिलाने के लिए हमें सालाना 140 करोड़ रुपए की जरूरत होती है, लेकिन हमें सिर्फ 70 करोड़ रुपए मिले. मुझे नहीं लगता कि हालात इससे बेहतर होंगे. शिव भोजन योजना के तहत, लाभार्थियों को 10 रुपए की सब्सिडी दर पर एक समय का भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इसमें 2 चपाती, एक कटोरी सब्जी, एक कटोरी दाल और एक कटोरी चावल होता है. शहरी क्षेत्रों में शिव भोजन प्लेट की कीमत 50 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 35 रुपए है. इस अंतर को सरकारी सब्सिडी द्वारा पूरा किया जाता है.

चुनाव से पहले महायुति की तरफ से वादा किया गया था कि सरकार में वापस आने पर 1500 रुपए को बढ़ाकर 2100 रुपए प्रति महीने कर दिया जाएगा, हालांकि इस वादे को अभी तक पूरा नहीं किया गया है. इस योजना को सीएम रहते एकनाथ शिंदे ने लॉन्च किया था.

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