सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस BR गवई पर जूता फेंकने की कोशिश करने वाले वकील ने नया खुलासा किया है. 72 साल के राकेश किशोर ने एक न्यूज आउटलेट से कहा है कि उन्हें अपने कृत्य के लिए कोई पछतावा नहीं है, जबकि उनके परिवार ने इसके लिए उनकी कड़ी निंदा की है.
राकेश ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि वह जेल जाने को तैयार है और जोर देकर कहा कि वह किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं है. उसने कहा, “अगर मैं जेल में होता तो बेहतर होता. मेरा परिवार मेरे किए से बहुत नाखुश है. वे समझ नहीं पा रहे हैं.” मयूर विहार स्थित अपने घर से बोलते हुए, वकील ने कई बेतुके दावे किए और कहा कि उन्हें किसी दैवीय शक्ति का मार्गदर्शन मिला है.
कैसे हुई थी घटना?
यह घटना कोर्ट नंबर 1 में कार्यवाही के दौरान सुबह करीब 11.35 बजे हुई, जब किशोर ने कथित तौर पर अपना जूता निकालकर मुख्य न्यायाधीश की ओर फेंकने की कोशिश की. हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने उसे रोका और बाहर ले गए. जब अदालत के अधिकारियों ने निर्देश मांगे, तो मुख्य न्यायाधीश गवई ने कथित तौर पर उन्हें इस घटना को अनदेखा करने के लिए कहा और किशोर को चेतावनी देकर जाने देने को कहा.
पुलिस अधिकारियों ने साफ किया कि किशोर के पास वैध एंट्री कार्ड था. जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कार्ड और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की अस्थायी सदस्यता शामिल थी.
भगवान विष्णु की मूर्ति पर की गई टिप्पणी से था नाराज
बार काउंसिल ने BR गवई पर जूते फेंकने वाले वकील की सदस्यता निलंबित कर दी है. राकेश ने बताया कि मध्य प्रदेश के खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित हालिया सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की ओर से की गई टिप्पणियों से वे नाराज हैं. उन्होंने कहा, “उस फैसले के बाद मुझे नींद नहीं आई. ऊपर वाला हर रात मुझसे पूछ रहा था कि इतने अपमान के बाद मैं कैसे चैन से सो पाऊंगा.