
रामचरितमानस और रामायण में अंतर
Ramayan vs Ramcharitmanas: महर्षि वाल्मीकि की रामायण और तुलसीदास द्वारा रचित रामायण में कई अंतर मिलते हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता होता है. वाल्मीकि जी की रामायण को मूल रामायण कहा जाता है, क्योंकि महर्षि वाल्मीकि भगवान राम के समय में मौजूद थे. ऐसा कहते हैं कि वाल्मीकि रामायण के ही आधार पर ही गोस्वामी तुलसीदास जी ने लगभग 500 साल पहले रामचरितमानस की रचना की. इस लेख में हम वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास की रामचरितमानस में अंतर क्या अंतर है, यह विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे.
रामायण और रामचरितमानस में अंतर (Valmiki Ramayan vs Tulsidas Ramcharitmanas)
वाल्मीकि रामायण महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में लिखी गई एक प्राचीन कृति है, जो राम को एक मानवीय गुण संपन्न राजा के रूप में चित्रित करती है. जबकि तुलसीदास के रामचरितमानस अवधी भाषा में 16वीं शताब्दी में लिखे गए एक भक्तिपूर्ण ग्रंथ हैं, जिसमें भगवान राम को साक्षात भगवान विष्णु का अवतार और एक महाशक्ति के रूप में दर्शाया गया है. रामचरितमानस, वाल्मीकि रामायण पर आधारित है लेकिन इसमें भाषा, पात्र चित्रण, छंद और कथा प्रसंगों में कई महत्वपूर्ण अंतर मिलते हैं.
वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास रामचरितमानस में अंतर
अन्य महत्वपूर्ण अंतर
सीता का वनवास:- वाल्मीकि रामायण में सीता के वनवास का उल्लेख मिलता है, लेकिन रामचरितमानस में इसका वर्णन नहीं मिलता.
लक्ष्मण रेखा:- वाल्मीकि रामायण में लक्ष्मण रेखा का उल्लेख नहीं है, जबकि रामचरितमानस में इसका वर्णन मिलता है.
सीता का धरती में विलीन:- वाल्मीकि रामायण में माता सीता पृथ्वी में विलीन हो गईं थीं, जबकि रामचरितमानस में उनका उल्लेख नहीं है.
अन्य प्रसंग:- तुलसीदास ने रामचरितमानस में कई कथाओं और प्रसंगों का विस्तार किया है, जो वाल्मीकि रामायण में नहीं हैं जैसे – शबरी के जूठे बेर, बालि के आधे बल का आना, या रामसेतु निर्माण में गिलहरी का योगदान.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)