प्रॉपर्टी खरीदते समय कर दी ये गलती तो जिंदगी भर पछताएंगे, अभी जान लें ये बातें

प्रॉपर्टी खरीदते समय कर दी ये गलती तो जिंदगी भर पछताएंगे, अभी जान लें ये बातें

प्रॉपर्टी खरीदते समय इन गलतियों से बचें.

भारत में जमीन खरीदना हमेशा से बड़े निवेश की तरह माना जाता है, लेकिन कई बार सही जानकारी न होने और जल्दबाजी में फैसला लेने की वजह से लोग भारी नुकसान झेलते हैं. अगर आप भी प्रॉपर्टी खरीदने का सोच रहे हैं तो इन जरूरी बातों को जानना और ध्यान रखना बेहद जरूरी है.

सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि आज प्लॉट की कीमत क्या है और आने वाले समय में उसकी कीमत कितनी बढ़ सकती है. सिर्फ विक्रेता की बात पर भरोसा न करें. आसपास के इलाकों में चल रहे रेट और सरकारी सर्कल रेट (गाइडलाइन वैल्यू) जरूर चेक करें. इसके अलावा, ऐसे इलाके चुनें जहां भविष्य में विकास के प्रोजेक्ट जैसे सड़क, मॉल या मेट्रो बनने वाले हों, क्योंकि वहां जमीन की कीमत तेजी से बढ़ती है.

मालिकाना हक की जांच बेहद जरूरी

किसी भी जमीन को खरीदने से पहले यह जरूर जांच लें कि उस जमीन का सही मालिक कौन है. कई बार जमीन पर कोई केस चल रहा होता है या वह जमीन विवादित होती है, जिससे बाद में कोर्ट-कचहरी की समस्या हो सकती है. टाइटल डीड, सेल डीड और एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट जैसे कागजात अच्छी तरह जांचें. जरूरत हो तो एक अच्छे वकील से भी सलाह लें ताकि आपके पैसे और अधिकार सुरक्षित रहें.

जमीन की कैटेगरी और जोनिंग की जानकारी लें

भारत में जमीन की अलग-अलग कैटेगरी होती है जैसे रिहायशी, कृषि, कमर्शियल या औद्योगिक. अगर आप घर बनाने के लिए जमीन खरीद रहे हैं, तो वह जमीन रिहायशी होनी चाहिए. अगर जमीन कृषि निकली और आप उस पर घर बनाना चाहेंगे तो भविष्य में आपको भारी परेशानी हो सकती है. इसलिए नगरपालिका या पंचायत से जमीन की जोनिंग (जमीन का उपयोग) की जानकारी लेना न भूलें.

लोकेशन का प्रभाव और आसपास की सुविधाएं

लोकेशन प्रॉपर्टी की कीमत और रहने की सुविधा दोनों के लिए बहुत अहम है. देखें कि जमीन के आसपास स्कूल, अस्पताल, बाजार, सड़क, मेट्रो या बस की सुविधा उपलब्ध है या नहीं. साथ ही, यह भी पता करें कि इलाके में कोई बड़ा सरकारी या निजी विकास प्रोजेक्ट तो नहीं चल रहा है. अच्छे लोकेशन वाली जमीन की कीमत समय के साथ अच्छी बढ़ती है.

जमीन की असली नाप और सीमाएं चेक करें

कई बार दस्तावेजों में जो जमीन का क्षेत्रफल लिखा होता है, वह जमीन की असली नाप से मेल नहीं खाता. इसलिए जमीन खरीदने से पहले उसकी फिजिकल नाप जांच कराएं और GPS या सरकारी रिकॉर्ड से मिलान करें. अगर प्लॉट अप्रूव्ड लेआउट में नहीं आता है, तो भविष्य में बाउंड्री विवाद या निर्माण रुकवाने की समस्या आ सकती है. इसलिए लोकल डेवलपमेंट अथॉरिटी से कागजात जांचना बहुत जरूरी है.

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