UPI और आधार से ऐसे बदल गया पेमेंट सिस्टम, इकोनॉमी को भी मिला सुपर बूस्टर

10-15 साल पहले जब किसी को सब्सिडी, स्कॉलरशिप या पेंशन चाहिए होती थी, तो सबसे पहले एक लंबी लाइन लगती थी. ढेर सारे फॉर्म भरने पड़ते थे, और यह भी तय नहीं होता था कि पैसा सही समय पर मिलेगा या नहीं. इस प्रक्रिया में अक्सर पैसा गलत हाथों तक पहुंच जाता था या बहुत देर से मिलता था. लेकिन फिर आया आधार और UPI का दौर. आधार से हर व्यक्ति को अलग पहचान मिली और धोखाधड़ी से बचने के लिए और सही व्यक्ति की पहचान करने के लिए आधार एक जरिया बन गया.

UPI और आधार ने मिलकर भारत के पेमेंट सिस्टम को पूरी तरह बदल दिया है. अब पेमेंट करना न सिर्फ आसान और सुरक्षित है, बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी ताकत मिली है. अब पैसे सीधे बैंक खाते में जाते हैं, वो भी चंद सेकंड में. कोई बिचौलिया नहीं, कोई गड़बड़ी नहीं और आज तो गांव की दुकान से लेकर शहर के मॉल तक हर जगह UPI से भुगतान हो रहा है. ये सिर्फ एक पेमेंट सिस्टम नहीं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को डिजिटल रफ्तार देने वाला इंजन बन गया है.

मोबाइल से पेमेंट – अब हर हाथ में बैंक

आज के दौर में मोबाइल हर इंसान की जरूरत बन चुका है. अब यही मोबाइल पेमेंट का आसान जरिया भी बन गया है. पहले छोटी से छोटी चीज खरीदने पर छुट्टे पैसों की दिक्कत होती थी, लेकिन अब 10 रुपये की चाय से लेकर 5000 रुपये की शॉपिंग तक, सब कुछ बस एक क्लिक में हो जाता है. QR कोड स्कैन करो और पेमेंट तुरंत हो जाता है.

बैंक की लाइनें हुईं बीते जमाने की बात

पहले पैसे भेजने, बिल भरने या फीस जमा करने के लिए बैंक जाना पड़ता था. लंबी लाइनों में लगना आम बात थी, लेकिन अब UPI और मोबाइल ऐप्स ने ये सब बेहद आसान बना दिया है. अब घर बैठे बिजली, पानी, गैस के बिल से लेकर कॉलेज और लाइब्रेरी फीस तक भर सकते हैं. पैसे भेजने के लिए बस मोबाइल नंबर या UPI ID चाहिए.

गांव-गांव में पहुंचा डिजिटल पेमेंट

अब सिर्फ शहर ही नहीं, गांवों और कस्बों में भी लोग डिजिटल पेमेंट करने लगे हैं. छोटे दुकानदार, सब्जी बेचने वाले, और दूध वाले भी QR कोड से पेमेंट लेने लगे हैं. इससे फाइनेंशियल सर्विसेस हर किसी के लिए सुलभ हो गई हैं.

फिनटेक सेक्टर को मिला बूस्ट

Paytm, PhonePe, Google Pay जैसी कंपनियों को UPI ने तेजी से बढ़ने का मौका दिया है. इससे लाखों लोगों को नौकरी के मौके मिले और देश में निवेश भी बढ़ा. इसके अलावा, GST बिलिंग, अकाउंटिंग, और पेमेंट जैसी चीजें अब डिजिटल हो गई हैं, जिससे कारोबार की रफ्तार और सटीकता दोनों बढ़ी है.

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