Vodafone Idea को ₹9,450 करोड़ पर मिली ‘सुप्रीम’ राहत, टल गई सुनवाई, अब इस दिन होगा फैसला!

Vodafone Idea को ₹9,450 करोड़ पर मिली 'सुप्रीम' राहत, टल गई सुनवाई, अब इस दिन होगा फैसला!

वोडाफोन आइडिया लिमिटेड

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वोडाफोन आइडिया की उस याचिका पर सुनवाई टाल दी, जिसमें कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा मांगे गए ₹9,450 करोड़ के अतिरिक्त AGR बकाया को चुनौती दी थी. कोर्ट की सुनवाई टलने से पहले कंपनी के शेयरों में करीब 5% की गिरावट देखी गई थी. लेकिन जैसे ही खबर आई कि सुनवाई टाल दी गई है, शेयर थोड़े संभले और करीब 2% चढ़कर ₹8.49 पर ट्रेड करने लगे. अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी. वोडाफोन आइडिया की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा, जबकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. दोनों ने कोर्ट से गुज़ारिश की थी कि मामले की सुनवाई को अगले सोमवार तक टाल दिया जाए.

क्या है AGR मामला?

AGR यानी Adjusted Gross Revenue यानी टेलीकॉम कंपनियों की कुल कमाई का वो हिस्सा, जिस पर सरकार को लाइसेंस फीस और बाकी चार्ज देना होता है. असल में, टेलीकॉम कंपनियां सिर्फ मोबाइल नेटवर्क से ही नहीं, बल्कि दूसरी सेवाओं से भी कमाई करती हैं. पहले ये कंपनियां सिर्फ नेटवर्क से हुई कमाई पर ही फीस देती थीं, लेकिन 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि उन्हें अपनी हर तरह की कमाई (चाहे वो टेलीकॉम से जुड़ी हो या नहीं) उस पर भी सरकार को फीस देनी होगी. इस फैसले के बाद सरकार और टेलीकॉम कंपनियों के बीच बकाया पैसों को लेकर बड़ा झगड़ा शुरू हो गया.

वोडाफोन आइडिया का क्या कहना है?

वोडाफोन आइडिया का कहना है कि उसने जितना बकाया साफ-साफ तय था, वो चुका दिया है. लेकिन अब जो ₹9,450 करोड़ की अतिरिक्त रकम मांगी जा रही है, वो अभी विवाद में है और सरकार ने उसे फाइनल भी नहीं किया है.
कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि जब तक असली बकाया तय नहीं हो जाता, तब तक उसे डिफॉल्टर यानी चूक करने वाला न माना जाए और उस पर कोई जुर्माना न लगाया जाए.

वोडाफोन आइडिया ने हाल ही में अपनी याचिका में बदलाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट से एक नई मांग की है. कंपनी ने कोर्ट से कहा है कि उसे बकाया रकम पर लगने वाला ब्याज और जुर्माना माफ किया जाए. कंपनी ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला दिया है, जिसमें सरकार को कुछ मामलों में टैक्स से राहत दी गई थी. वोडाफोन आइडिया का तर्क है कि अगर सरकार को ऐसी राहत मिल सकती है, तो कंपनियों को भी मिलनी चाहिए.

इसके अलावा वोडाफोन आइडिया ने ये भी कहा कि सरकार और कंपनी, दोनों ही मान चुके हैं कि बकाया रकम के आंकड़े अभी तक पूरी तरह से मिलाए और जांचे नहीं गए हैं. ऐसे में जब तक सटीक रकम तय नहीं हो जाती, उसे जुर्माना या ब्याज के बोझ तले दबाना ठीक नहीं है. कंपनी का साफ कहना है कि जब तक पूरा हिसाब-किताब साफ नहीं होता, तब तक हमें डिफॉल्टर न माना जाए और सख्त कार्रवाई से बचाया जाए.

सरकार ने क्या कहा?

सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अब सरकार खुद वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदार है. इसलिए यह मामला सिर्फ एक कंपनी का नहीं, बल्कि करोड़ों ग्राहकों और हजारों कर्मचारियों से जुड़ा है. उन्होंने कोर्ट से अपील की कि इस मामले की सुनवाई जल्द होनी चाहिए ताकि जल्दी समाधान निकल सके और किसी को नुकसान न हो.

सरकार ने माना कि इस विवाद की वजह से वोडाफोन आइडिया पर भारी आर्थिक दबाव है. कंपनी ने बताया कि उस पर कुल करीब ₹83,400 करोड़ का बकाया है और हर साल उसे लगभग ₹18,000 करोड़ चुकाने पड़ते हैं. ये रकम चुकाना कंपनी के लिए अब बहुत मुश्किल हो गया है.

कंपनी के बंद होने का खतरा

कंपनी ने साफ कहा है कि अगर ये मामला जल्द नहीं सुलझा, तो कंपनी के बंद होने का खतरा है. इससे न सिर्फ वोडाफोन आइडिया प्रभावित होगी, बल्कि इसके 18,000 से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरियां भी खतरे में पड़ जाएंगी. इतना ही नहीं, देशभर के लगभग 19.8 करोड़ (198 मिलियन) मोबाइल यूजर्स की सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं. दूसरी तरफ, दूरसंचार विभाग (DoT) ने बताया कि अभी तक जो बकाया है, उसमें ब्याज और जुर्माना मिलाकर रकम बढ़कर ₹6,800 करोड़ तक हो सकती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *