सरकारी स्कीम से बदली ममता की जिंदगी… 10 हजार से शुरू किया काम, बना डाली 35 लाख की कंपनी

सरकारी स्कीम से बदली ममता की जिंदगी... 10 हजार से शुरू किया काम, बना डाली 35 लाख की कंपनी

सांकेतिक तस्वीर

कर्नाटक की एक महिला की जिंदगी पीएमएफएमई स्कीम से मिले पैसों से बदल गई. उन्हें योजना के तहत 10 हजार रुपये मिले थे, जिससे उन्होंने अपना छोटा सा फूड स्टॉल शुरू किया था और आज उन्होंने 35 लाख रुपए टर्नओवर वाली कंपनी बना दी. ये कमाल कर्नाटक की रहने वाली ममता विनायक भट्ट ने किया है, जो उत्तर कन्नड़ के शेम्मेने गांव की रहने वाली हैं.

ममता कॉमर्स ग्रेजुएट हैं. उन्हें प्रधानमंत्री माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइज के तहत पैसे मिले थे. इससे उन्होंने ‘दीक्षा’ फूड वेंचर शुरू किया था. इसमें उन्होंने कटहल से चिप्स, पापड़, मसालेदार स्नैक्स, केले का पाउडर जैसी चीजें बनानी शुरू की थी. धीरे-धीरे उनका कारोबार बढ़ा. फिर 3 साल पहले साल 2022 में ममता को कृषि विभाग की मदद से 15 लाख का लोन और 3.75 लाख की सब्सिडी मिली.

15 लाख के लोन से मशीनें खरीदीं

कृषि विभाग की ओर से मिले 15 लाख के लोन से उन्होंने मशीनें खरीदीं और आज उनका फूड वेंचर 35 लाख के टर्नओवर में बदल गया है. आज ममता न सिर्फ खुद अच्छी कमाई कर रही हैं. बल्कि और महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं. ममता को लेकर कृषि विभाग के जॉइंट डायरेक्टर शिवप्रसाद गवांकर उनकी तारीफ करते हुए कहते हैं कि ममता जैसी महिलाएं दिखाती हैं कि योजनाएं कैसे गांव वालों को जिंदगी बदल सकती हैं.

केंद्र सरकार की यह योजना छोटे और सूक्ष्म खाद्य उद्यमों (micro food enterprises) को मजबूत बनाने के लिए बनाई गई है. योजना के तहत उद्यमियों को अपने व्यवसाय के विस्तार और सुधार के लिए 50 प्रतिशत तक की क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी या 15 लाख रुपये तक का लोन लेने का मौके मिलता है. इसका मकसद है कि छोटे खाद्य व्यवसाय, स्वयं सहायता समूह और किसान संगठन अपने उत्पादों की गुणवत्ता को बेहतर बना सकें. उन्हें आधुनिक तकनीक से लैस कर सकें और बाजार में अपनी पहुंच को बढ़ा सकें. इसके जरिए से न सिर्फ छोटे उद्यमी आर्थिक रूप से सशक्त होंगे, बल्कि स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य उत्पादन और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा.

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