Sharad Purnima Aarti: शरद पूर्णिमा पर करें ये विशेष आरती, घर में रहेगी सुख-शांति, दरिद्रता होगी दूर

Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा का त्योहार श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को आता है. धार्मिक मान्यताएं है कि आज की रात में चंद्रमा की सबसे ज्यादा रोशनी होती है. इसे बेहद पवित्र रात माना जाता है. कहा जाता है कि इस पूर्णिमा की रात को आकाश से अमृत की बरसात होती है. यही वजह है कि खुले आसमान के नीचे रात के समय खीर रखी जाती है.

मान्यता है कि इस रात खीर में चंद्रमा की रोशनी के जरिए अमृत तत्व उसमें समाहित हो जाते हैं. अगले दिन यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है, जिससे शरीर और मन दोनों को शांति और स्वास्थ्य प्राप्त होता है. यही नहीं, शरद पूर्णिमा को धन की देवी लक्ष्मी के अवतरण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. आज के भक्त अपनी मां की पूजा-अर्चना करते हैं. वे दीप जलाते हैं और रातभर जागरण व भजन-कीर्तन करते हैं. भक्त पूजा के समय मां लक्ष्मी की विशेष आरती भी करते हैं. साथ ही साथ गणेश जी की भी आरती करते हैं. इससे घर में सुख-शांति आती है और दरिद्रता भी दूर होती है.

श्री लक्ष्मी माता की आरती (Laxmi Mata Ki Aarti Lyrics)

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख सम्पत्ति दाता॥

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता॥

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता॥

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता॥

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता॥

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
मैया जो कोई जन गाता॥

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ऊं जय लक्ष्मी माता।।

श्री गणेश जी आरती (Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

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