Tata Steel पर सरकार का शिकंजा, इस मामले में पकड़ाया 2,410 करोड़ का नोटिस, अब कोर्ट जाएगी कंपनी

Tata Steel पर सरकार का शिकंजा, इस मामले में पकड़ाया 2,410 करोड़ का नोटिस, अब कोर्ट जाएगी कंपनी

टाटा स्टील को 2,410.89 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस मिला है.

देश की बड़ी इस्पात कंपनी Tata Steel पर ओडिशा सरकार ने बड़ा आरोप लगाया है. राज्य सरकार का कहना है कि कंपनी ने जितना क्रोम अयस्क (Chrome Ore) भेजना था, उतना नहीं भेजा. सरकार का दावा है कि इस वजह से उसे बड़ा नुकसान हुआ है. इसी के चलते सरकार ने 2,410.89 करोड़ रुपये की मांग करते हुए कंपनी को नोटिस भेजा है. दरअसल, यह मामला ओडिशा के जाजपुर जिले के सुकिंदा खदान से जुड़ा है. सरकार का कहना है कि 2024 से 2025 के बीच Tata Steel ने समझौते के मुताबिक अयस्क की सप्लाई नहीं की.

टाटा स्टील के शेयर गिरे

इस बड़ी कानूनी मांग का असर शेयर बाजार में भी साफ नजर आया. सोमवार को Tata Steel के शेयर 1.84% टूटकर ₹177 पर बंद हुए. निवेशकों में चिंता है कि अगर कंपनी को कोर्ट से राहत नहीं मिलती, तो शेयर पर और दबाव आ सकता है. बाजार के जानकारों का कहना है कि इतना बड़ा वित्तीय दाव कंपनी की बैलेंस शीट पर असर डाल सकता है. अगर मामला ज्यादा लंबा खिंचता है या Tata Steel को किसी तरह की आर्थिक जिम्मेदारी उठानी पड़ी, तो शेयर में भारी गिरावट हो सकती है.

कंपनी ने कहा- कोई गलती नहीं की, मांग बेबुनियाद

वहीं Tata Steel ने सरकार के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है. कंपनी का कहना है कि उसने नियमों का उल्लंघन नहीं किया और सरकार की यह मांग कानूनी तौर पर गलत है. कंपनी ने बताया कि यह मांग जिस समझौते और नियम के तहत की गई है, उसमें कई बातें साफ नहीं हैं, और ऐसा कोई आधार नहीं बनता कि इतनी बड़ी रकम वसूली जाए. Tata Steel का कहना है कि वह इस मामले को लेकर जल्द ही कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.

पहले भी हो चुका है विवाद

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. Tata Steel को पिछले साल भी सरकार की ओर से ₹1,902.72 करोड़ का इसी तरह का नोटिस मिला था. तब कंपनी ने उड़ीसा हाई कोर्ट में केस किया था. कोर्ट ने कंपनी को अंतरिम राहत देते हुए सरकार को किसी तरह की जबरदस्ती करने से रोक दिया था. यह राहत अगली सुनवाई तक जारी है. अब कंपनी उसी तरह इस नए मामले में भी कानूनी रास्ता अपनाने की तैयारी में है.

सरकार क्यों मांग रही है इतना पैसा?

Tata Steel और सरकार के बीच एक समझौता हुआ था, जिसे Mine Development and Production Agreement (MDPA) कहते हैं. इसके मुताबिक, कंपनी को हर साल एक तय मात्रा में क्रोम अयस्क निकालकर भेजना होता है. सरकार का कहना है कि इस साल तय मात्रा से कम अयस्क भेजा गया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. इसी आधार पर सरकार ने बिक्री के हिसाब से रकम की वसूली और सिक्योरिटी जब्त करने का फैसला लिया है.

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