
वाल्मीकि जयंती 2025
Valmiki Jayanti 2025: आश्विन माह की पूर्णिमा बहुत ही पावन और विशेष मानी जाती है. इस दिन शरद पूर्णिमा का पर्व भी मनाया जाता है. साथ ही महर्षि वाल्मीकि की जयंती भी मनाई जाती है. महर्षि वाल्मीकि संसार के पहले कवि माने जाते हैं. महर्षि वाल्मीकि के द्वारा ही रामायण की रचना की गई. रामायण हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण महाकाव्य है. रामायण भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित है.
महर्षि वाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण को वाल्मीकि रामायण के रूप में लोग जानते हैं. ग्रंथों में महर्षि वाल्मीकि के जीवन और ज्ञान से जुड़ी कई प्रेरणादायक बातें बताई गई हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि महर्षि वाल्मीकि जयंती साल 2025 में कब मनाई जाएगी.
कब है वाल्मीकि जयंती ? ( Valmiki Jayanti 2025 Kab Hai)
हिंदू पंचांग के मुताबिक, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट पर शुरू हो रही है. इस तिथि का समापन 7 अक्टूबर, मंगलवार की सुबह 9 बजकर 17 मिनट पर हो रहा है. इस बार पूर्णिमा का योग दो दिनों तक रहने वाला है. क्योंकि आज की रात पूर्णिमा रहेगी, इसलिए व्रत आज ही रखा जा रहा है. वहीं, महर्षि वाल्मीकि जयंती का उत्सव कल मनाया जाएगा.
कौन थे महर्षि वाल्मीकि?
महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी कई रोचक कथाएं हैं, जोकि बहुत ही प्रसिद्ध हैं. बताया जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का असली नाम रत्नाकर था और पहले उन्होंने एक डाकू के रूप में अपना जीवन जिया. महर्षि वाल्मीकि का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. लोक कथाओं के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि की मुलाकात एक दिन नारद जी से हुई. नारद जी ने उसने पूछा कि जो पाप तुम कर रहे हो उसका फल तो तुम्हारा परिवार भूगतेगा.
महर्षि के आश्रम में मां सीता ने ली थी शरण
इसके बाद रत्नाकर ने परिवार से इस बारे में पूछा तो सभी ने इसकी जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया. यह सुनकर रत्नाकर का हृदय बदल गया और उन्होंने पाप की राह छोड़कर तपस्या का रास्ता अपना लिया. इस तरह से नारद जी ने उनको आत्मज्ञान और सत्य की राह दिखाई. उनके कठोर तप के बाद ब्रह्मा जी ने उनको दर्शन दिए और आदेश दिया कि वो भगवान राम के जीवन पर ग्रंथ लिखें. इसी के बाद उन्होंने रामायण रची और संसार के पहले कवि के रूप में जाने गए. आगे जाकर जब माता सीता को वन में भेजा गया तो महर्षि वाल्मीकि ने ही उनको अपने आश्रम में शरण दी. लव और कुश का जन्म महर्षि के आश्रम में ही हुआ. दोनों ने महर्षि से शिक्षा ली और युद्ध कला सीखी.
ऐसे मनाएं वाल्मीकि जयंती
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. घर के मंदिर या पूजा स्थान की अच्छी तरह सफाई करनी चाहिए. फिर वहां महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए. दिन की शुरुआत रामायण या रामचरितमानस के पाठ से करनी चाहिए. इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना चाहिए.
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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.