
कांतारा चैप्टर 1 का कौन सा खिलाड़ी छा गया?
Kantara chapter 1: एक अच्छी पिक्चर के लिए क्या जरूरी है? क्या सिर्फ बढ़िया स्क्रिप्ट, या स्क्रीनप्ले… हो सकता है आप लोगों के लिए टॉप पर डायरेक्शन और एक्टिंग हो. लेकिन इसमें भी बड़ा सवाल है कि क्या एक लीड एक्टर अपने दम पर ऐसा कर सकता है? जी हां, बिल्कुल कर सकता है. पर ‘कांतारा चैप्टर 1’ में ऐसा होना मुमकिन नहीं था, क्योंकि जैसी ऋषभ शेट्टी ने कहानी दिखाई है, उसके लिए हर किरदार का निखर कर आना अहम था. यही वजह है कि फिल्म महज चार दिनों में भारत से 200 करोड़ से ज्यादा कमा चुकी है. ऋषभ शेट्टी ने हर एक्टर का किरदार अलग पैटर्न से तैयार किया. ऐसे में फिल्म में 47 साल का ये एक्टर सच में बाजी मार गया. जी हां, ये ऋषभ शेट्टी और रुक्मिणी वसंत नहीं हैं.
ऋषभ शेट्टी की कहानी सिर्फ ‘कांतारा’ तक थी. पर इसे आगे बढ़ाकर रचने वाले जो निकले, वो हैं- गुलशन देवैया. फिल्म में इस एक्टर ने कुलशेखर का किरदार निभाया है. जिसे उसके पिता, जो कि राजा हैं. वो गद्दी सौंपते हैं, पर वो इतना क्रूर दिखाया गया. जिसे सिर्फ अपनी मौज-मस्ती प्यारी है. पर फिल्म में क्यों असली पावरफुल कैरेक्टर बनकर उभरे, आपको समझाते हैं. पर उससे पहले बता देते हैं कि यहां भर-भरकर स्पॉइलर हैं. इसलिए आगे अपने रिस्क पर ही पढ़िएगा.
‘कांतारा’ का विलेन, जो हीरो के बराबर है
‘कांतारा चैप्टर 1’ में उस गांव की कहानी है, जहां बर्मे ( ऋषभ शेट्टी) का जन्म हुआ. उसी गांव में दैव रहते हैं, जो हर मुसीबत से अपने लोगों की रक्षा करते हैं. पर असली ट्विस्ट कहानी में तब आता है, जब एक राजा पिता अपना राज्य बेटे को सौंपता है. यूं तो कांतारा गांव से दूर यह सब चल रहा है. पर ‘ब्रह्मराक्षस’ की फैली हवा कुलशेखर (गुलशन देवैया) को वहां पहुंचा देती है. उस वक्त तो सामना नहीं हुआ, पर गुलशन देवैया का नेगेटिव रोल ही हीरो से कम नहीं था. क्योंकि उनके किरदार में कई सारे फ्लेवर हैं.
कुलशेखर का पहला फ्लेवर, जब वो अपने पिता के खिलाफ खड़ा हो जाता है. दूसरा फ्लेवर, जिसे दोस्त प्यारे है, पर राज्य सिर्फ शक्ति प्रदर्शित करने के लिए चाहिए. तीसरा फ्लेवर, जिसे कांतारा वालों से बदला लेना है और वो लेता भी है. चौथा फ्लेवर, जो शराब के नशे में कुलशेखर को दिखाता है. पांचवां फ्लेवर, जहां कुलशेखर अपने ही परिवार के षड्यंत्र को समझने में नाकामयाब रहा. इन सबसे हटकर एक वो फ्लेवर भी है, जिसमें यह क्रूर राजा एकदम डरा सहमा दिखता है.
गुलशन का एंड और हुई नई शुरुआत
ऋषभ शेट्टी की फिल्म अगर आप देख चुके हैं, तो जानते होंगे कि अब गुलशन देवैया अगले पार्ट में नहीं दिखेंगे. क्योंकि फिल्म में उनका किरदार खत्म हो चुका है. पर ऋषभ शेट्टी उनके किरदार का महत्त्व जानते थे, इसलिए कुलशेखर की खत्म होती कहानी से ही दैव और ऋषभ की कहानी की शुरुआत हुई. क्योंकि अगर कुलशेखर वहां जाता ही नहीं, तो कभी कांतारा की नई लड़ाई शुरू नहीं होती. यूं तो गुलशन का किरदार खूब नेगेटिव रहा, पर इसे उन्होंने जिस तरह से निभाया है. उसकी तारीफ बनती है. ये 3 बातें, जो कुछ देर में ही उन्हें बेस्ट बना गई.
1. अभिनय: गुलशन देवैया ने कहीं भी महसूस नहीं होने दिया कि वो किसी से कम हैं. कन्नड़ डेब्यू एकदम सॉलिड रहा है. खासकर जब बात विलेन के अलग-अलग फ्लेवर की आती है, तो उनका किरदार कुछ स्पेशल नहीं था. पर उनके अभिनय ने ही इसे इफेक्टिव बनाया है.
2. कहानी में डाली जान: गुलशन का फिल्म में जो किरदार है, उसका एंड गांव में होता है. जब वो बर्मे के गांव में जाकर दैव पर सवाल उठाता है. उसी जगह एक सीन है, जिसमें खूंखार खलनायक जिसे परिवार का बदला लेना था, वो हर सेकंड एक्सप्रेशंस बदलता है. कभी बेखौफ है, तो कभी डरा हुआ. एक बेहतरीन एक्टर क्या होता है, वो गुलशन के किरदार से झलकता रहा.
3. ऋषभ को दी टक्कर: ऋषभ शेट्टी और गुलशन का किरदार इस तरह सेट था, जहां कोई भी कम ज्यादा नहीं लगता. जब तक दैव की शक्तियां खुद आकर कुलशेखर को मार नहीं देती. सिर्फ एक ही जगह गुलशन देवैया छोटे लगे. बेशक उनका निभाया किरदार लीड से हल्का था, पर कम नहीं. क्योंकि वहां अलग-अलग रंग देखने को मिलते रहे. थोड़ा कॉमेडी टच भी था, जिसे पसंद किया गया.
गुलशन की ऐसे हुई शुरुआत
गुलशन देवैया का जन्म 1978 में कर्नाटक में हुआ. एक्टिंग में कदम रखने से पहले देवैया बैंगलोर के एक इंग्लिश थिएटर में गए. जहां कुछ छोटे-मोटे रोल मिले और फिर कुछ बड़ा करने के लिए मुंबई निकल गए. हालांकि, करियर की शुरुआत अनुराग कश्यप की फीचर फिल्म से हुई. जिसका नाम था- ‘दैट गर्ल इन यलो बूट्स’. इसके बाद एक क्राइम थ्रिलर में काम करने का मौका मिल गया. जिसमें गुलशन ने अच्छा काम किया. अब ट्रेन पटरी से निकल पड़ी थी. बढ़ते वक्त के साथ ही एक्टर को ‘शैतान’, ‘हेट स्टोरी’, ‘पेडलर्स’ जैसी कई फिल्में मिलती रही.
पर गुलशन को कई लोगों ने तब जाना, जब वो संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘राम लीला’ का हिस्सा बने. उनका भवानी वाला किरदार भी काफी पॉपुलर रहा था. कांतारा चैप्टर 1 से पहले उनकी तीन फिल्में आई हैं- उलज, जिसमें जान्हवी के साथ थे. फिर सुबह 8 बजे मेट्रो और झांसी का राजकुमार. वो अबतक कुल 25 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं. हर बार एक नया गुलशन दिखता है, जिसका अभिनय सबको शॉक्ड कर दे. गुलशन को मर्द को दर्द नहीं होता के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिल चुका है.