क्या होता है सितोपलादि चूर्ण, कैसे यह कफ में है फायदेमंद, एम्स आयुर्वेदा के डॉक्टर ने बताया

क्या होता है सितोपलादि चूर्ण, कैसे यह कफ में है फायदेमंद, एम्स आयुर्वेदा के डॉक्टर ने बताया

कफ और सितोपलादि चूर्णImage Credit source: Getty Images

Sitopaladi Churna: मौसम में बदलाव के दौरान खांसी और कफ की समस्या होना बहुत आम बात है. ठंडी हवाएं, धूल-मिट्टी, वायरल इंफेक्शन या बदलते तापमान से गले में जलन, बलगम और खांसी जैसी दिक्कतें जल्दी घेर लेती हैं. कई बार ये परेशानियां लंबे समय तक बनी रहती हैं और बार-बार दवा लेने के बावजूद राहत नहीं मिलती. ऐसे में आयुर्वेद में बताए गए कुछ पारंपरिक नुस्खे बहुत असरदार साबित हो सकते हैं. इन्हीं में से एक है सितोपलादि चूर्ण, जो सदियों से खांसी और सांस संबंधी समस्याओं में इस्तेमाल होता आ रहा है. आइए, सितोपलादि चूर्ण के बारे में जानते हैं.

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा में डायरेक्टर डॉ. प्रदीप कुमार प्रजापति बताते हैं कि सितोपलादि चूर्ण एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक फॉर्मूला है, जो मुख्य रूप से पांच प्राकृतिक तत्वों से बनाया जाता है मिश्री, बांस का सत (वंशलोचन), पीपल, इलायची और दालचीनी. इनका सही मेल शरीर पर कई तरह से असर करता है. मिश्री गले को ठंडक देती है और खांसी से होने वाली जलन को शांत करती है. वंशलोचन में बलगम को पतला करने और सांस की नलिकाओं को साफ करने के गुण होते हैं. पीपल में एक्टिव गुण होते हैं जो फेफड़ों को साफ करने में मदद करते हैं. इलायची पाचन सुधारती है और गले की बदबू व खराश कम करती है. दालचीनी में एंटी-बैक्टीरियल और सूजन कम करने वाले गुण पाए जाते हैं. इन सभी तत्वों का मेल शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करते हुए खांसी और बलगम को कम करने में मदद करता है.

सितोपलादि चूर्ण कैसे असरदार है?

डॉ. प्रदीप कुमार प्रजापति ने बताया सितोपलादि चूर्ण खासतौर पर सूखी खांसी, बलगमी खांसी, गले में खराश, सर्दी-जुकाम और मौसम से जुड़ी एलर्जी में बहुत उपयोगी माना जाता है. साथ ही, यह पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है, जिससे बार-बार होने वाले इंफेक्शन से शरीर को लड़ने में सहायता मिलती है. खांसी के अलावा, सितोपलादि चूर्ण अस्थमा के शुरुआती लक्षणों, साइनस की समस्या, गले की सूजन और कभी-कभी हल्के बुखार में भी उपयोगी पाया गया है.

यह एक सुरक्षित हर्बल विकल्प है जिसे बच्चों और बड़ों दोनों को डॉक्टर या वैद्य की सलाह से दिया जा सकता है. नियमित सेवन से यह फेफड़ों की सफाई और इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करता है.

इन चीजों का भी रखें ध्यान

इसे इस्तेमाल करने से पहले वैद्य या डॉक्टर से सलाह लें.

शुगर के मरीज मिश्री की मात्रा को लेकर सावधानी बरतें.

प्रेगनेंट महिलाओं को सेवन से पहले डॉक्टर की राय लेनी चाहिए.

मात्रा और समय का ध्यान रखें.

यह कोई ऐमरजेंसी मेडिसिन नहीं है, गंभीर समस्या में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

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