
खांसी-कफ और सिरप
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मौसम बदलने के साथ बच्चों में खांसी-जुकाम की समस्या आम हो जाती है. तापमान में अचानक गिरावट, ठंडी हवाएं या नमी बढ़ने से वायरस और बैक्टीरिया एक्टिव हो जाते हैं, जिससे बच्चों की इम्यूनिटी पर असर पड़ता है. ऐसे में कई बार माता-पिता जल्द राहत के लिए बच्चों को खांसी की सिरप देना शुरू कर देते हैं. लेकिन क्या बच्चों को कफ सिरप देना चाहिए? इस बारे में दिल्ली एम्स में पीडियाट्रिक विभाग में डॉ. हिमांशु बदानी और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा में डॉ. प्रशांत गुप्ताने बताया है.
डॉ हिमांशु बताते हैं कि कई माता-पिता बच्चों को तुरंत कफ सिरप देना शुरू कर देते हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार 2 साल से कम उम्र के बच्चों को सामान्य खांसी की सिरप देना न तो जरूरी है और न ही सुरक्षित है. इसके देने का कोई रोल ही नहीं है. दरअसल, छोटे बच्चों का शरीर इन दवाओं को ठीक से मेटाबॉलाइज़ नहीं कर पाता, जिससे सुस्ती, उल्टी या सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं. WHO और एफडीए भी 2 साल से कम उम्र में कफ सिरप बिल्कुल मना करते हैं .
डॉ हिमांशु के मुताबिक, 5 साल से कम उम्र के बच्चे को भी अगर कफ सिरप देना है तो डॉक्टर की सलाह पर ही दे सकते हैं. 5 साल से बड़े बच्चे को भी सिरप खुद से नहीं देना चाहिए. अगर डॉक्टर कह रहा है तभी देना चाहिए और जो डोज बताई गई है उसके हिसाब से ही देना चाहिए. कई लोग सोचते हैं कि यह सिर्फ एक मिथक है, लेकिन सच यह है कि सिरप खांसी की जड़ नहीं, केवल अस्थायी आराम देता है. इसलिए जरूरी है कि पहले कारण समझें और फिर डॉक्टर से सलाह लें.
डॉ प्रशांत भी कहते हैं कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को सिरप नहीं देना चाहिए. इसको लेकर गाइडलाइंस भी आ गई है. आयुर्वेदा भी बच्चों को सिरप न देने की सिफारिश करता है. बच्चे को भाप और सितोप्रलादी चुर्ण दिया जाता है. ये बच्चों के स्वाद में भी अच्छा लगता है और कफ से राहत भी देता है.
कैसे पहचानें कि मेरा बच्चा कफ से पीड़ित हो रहा है? क्या बिना खांसी के भी कफ हो सकता है?
डॉ हिमांशु के मुताबिक, कई बार बच्चे को बलगम तो होता है, लेकिन वह खांसी नहीं कर पाता, जिससे अंदर ही कफ जमा रह जाता है. इसकी पहचान कुछ लक्षणों से की जा सकती है जैसे नाक में लगातार जाम रहना, सांस लेते समय घरघराहट या सीटी जैसी आवाज आना, नींद में बेचैनी, भूख कम लगना या बार-बार गला साफ करना. अगर बच्चा बहुत छोटा है, तो वह खांसी से बलगम बाहर नहीं निकाल पाता और उसे बार-बार उल्टी या रेस्टलेसनेस हो सकती है. कभी-कभी नाक से बहने वाला पारदर्शी म्यूकस गले में जाकर कफ बना देता है. इसलिए खांसी न दिखने पर भी इन संकेतों को नजरअंदाज न करें और समय पर बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं.
खांसी के साथ जो बलगम आ रहा है, उसका रंग कैसा है और क्या यह किसी गंभीर संक्रमण का संकेत है?
बलगम का रंग अक्सर बीमारी की प्रकृति के बारे में जानकारी देता है. अगर बलगम पारदर्शी या हल्का सफेद है तो यह आम वायरल संक्रमण या हल्की ठंड का संकेत है. पीला या हल्का हरा बलगम बताता है कि शरीर संक्रमण से लड़ रहा है और बैक्टीरियल इंफेक्शन की संभावना हो सकती है. गाढ़ा हरा, पीला या बदबूदार बलगम ज्यादातर मामलों में साइनस या चेस्ट इंफेक्शन की ओर इशारा करता है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अगर बलगम में खून की हल्की लकीर दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि यह गले में जलन या किसी गंभीर संक्रमण का संकेत हो सकता है. बलगम की मात्रा और रंग पर नजर रखना बच्चे की स्थिति को समझने और समय पर इलाज शुरू करने में बहुत मदद करता है.