
डिफेंस टेक्नोलॉजी के लिए AICTE की नई पहल
आत्मनिर्भर भारत मिशन को मजबूती देने की दिशा में एक अहम शुरुआत करते हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी प्रोग्राम के लिए डिफेंस टेक्नोलॉजी में माइनर डिग्री के लिए मॉडल करिकुलम लॉन्च किया है. इस पहल का मकसद स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करना और रक्षा क्षेत्र के लिए एक कुशल कार्यबल तैयार करना है.
एआईसीटीई के प्रमुख टीजी सीताराम ने बुधवार को सदस्य सचिव श्यामा रथ, एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और करिकुलम कमिटी के अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (SIDM) के प्रमुख राजिंदर सिंह भाटिया, तथा रक्षा क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारियों और प्रतिनिधियों की मौजूदगी में इस पाठ्यक्रम का अनावरण किया.
स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ाने की कवायद
इस पहल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, सीताराम ने कहा, “आत्मनिर्भर भारत की भावना और तेजी से हो रही तकनीकी तरक्की से प्रेरित होकर, भारत रक्षा के क्षेत्र में एक अहम परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. इस बदलते परिदृश्य में, डिफेंस टेक्नोलॉजी में स्कील्ड, इनोवेटिव और उत्साही प्रतिभाओं का एक ग्रुप तैयार करना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने तथा स्वदेशी क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए अहम है.”
उन्होंने यह भी बताया कि यह कार्यक्रम छात्रों को एयरोनॉटिक्स सिस्टम्स, नेवल टेक्नोलॉजी, वीपन सिस्टम्स, साइबर सिक्योरिटी और एडवांस्ड मैटेरियल में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए डिजाइन किया गया है, साथ ही सशस्त्र बलों, डीआरडीओ और रक्षा निर्माण उद्योग की उभरती जरूरतों के अनुरूप भी है.
विशेषज्ञों की सलाह से तैयार हुआ करिकुलम
करिकुलम का ड्रॉफ्ट तैयार करने वाली समिति के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने कहा कि इसे सशस्त्र बलों, इंडस्ट्री से जड़े लोगों, डीआरडीओ और शिक्षा जगत के हितधारकों के साथ बड़े स्तर सलाह-मशविरा के बाद तैयार किया गया है. उन्होंने कहा, “यह देश की रक्षा जरूरतों और उपलब्ध संभावनाओं के बीच संतुलन भी बनाता है. इस माइनर डिग्री प्रोग्राम के तहत छात्रों के सीखने के लिए फील्ड विजिट, सेमिनार और व्यावहारिक अनुभव भी शामिल हैं.”
इंडस्ट्री की चिंताओं का जिक्र करते हुए, एसआईडीएम के प्रमुख राजिंदर सिंह भाटिया ने कहा कि इंड्स्ट्री रेडी मैनपॉवर की कमी लंबे समय से रक्षा उत्पादन में बाधा बन रही है. उन्होंने यह भी कहा कि यह पहल डिफेंस टेक्नोलॉजी और निर्माण प्रक्रियाओं पर स्पेशलाइज्ड कोर्सेज प्रदान करके इस अंतर को पाटेगी, जो अब तक हाइयर एडजुकेशन में सीमित रहे हैं.”