‘जो राष्ट्र के नहीं हुए, हम उनके नहीं’- RSS के 100 साल पूरे होने आप ने उठाए 7 सवाल

‘जो राष्ट्र के नहीं हुए, हम उनके नहीं’- RSS के 100 साल पूरे होने आप ने उठाए 7 सवाल

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) अपने गठन के 100 वर्ष पूरे होने पर देश भर में शताब्दी वर्ष से जुड़े कार्यक्रम मना रहा है। आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस उपलक्ष्य में तीखे सवाल किए हैं। आप सांसद ने कहा- ‘जो राष्ट्र के नहीं हुए, हम उनके नहीं।’ संजय सिंह ने दलितों को संघ प्रमुख न बनाने, मुस्लिम लीग के साथ सरकार बनाने, क्रांतिकारियों की मुखबिरी करने और तिरंगा झंडा का विरोध करने जैसे 7 सवाल किए हैं।

पहला और दूसरा सवाल
संजय सिंह ने कहा- RSS के 100 साल पूरे होने पर मेरे कुछ सवाल हैं। ये तीखे, कड़वे मगर सच्चे हैं। संजय सिंह ने पहला सवाल पूछा- 100 वर्षों में संघ में इस देश के 85 फीसदी लोगों की हिस्सेदारी क्यों नहीं हुई? दूसरा- 100 वर्षों में एक भी दलित, आदिवासी या पिछड़े वर्ग का व्यक्ति इस संगठन का प्रमुख क्यों नहीं हुआ?

दकियानूसी और संकुचित सोच वाला संगठन
संजय सिंह ने कहा- “दलित, आदिवासी या पिछड़ा तो छोड़ दीजिए, आज तक एक भी महिला भी आरएसएस की प्रमुख नहीं रही है।” संजय सिंह ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा- “आप इसे दकियानूसी और संकुचित सोच वाला संगठन कह सकते हैं, जो संविधान के खिलाफ है। आरक्षण के खिलाफ है। दलितों के खिलाफ है। आदिवासियों के खिलाफ है। पिछड़ों के खिलाफ है। ”

पांच अन्य सवाल क्या पूछे?
तीसरा सवाल- जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ मिलकर तुम्हारे आकाओं ने सरकार क्यों बनाई ? चौथा सवाल- आजादी के आंदोलन में क्रांतिकारियों की मुखबिरी क्यों की ? पांचवा सवाल- संघ के लोगों को अंग्रेजों की सेना में भर्ती क्यों कराया ? छठा सवाल- भारत की आन बान और शान तिरंगे झंडे का विरोध क्यों किया ? सातवां सवाल- RSS के मुख्यालय पर 52 साल तक तिरंगा क्यों नहीं फहराया ?

काले सच से RSS इंकार नहीं कर सकती, आप
संजय सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा- “ये इतिहास का ऐसा काला सच है, जिसको आरएसएस कभी इंकार नहीं कर सकती। इसलिए जब आप 100 साल पूरे होने पर ये सुन रहे हैं कि प्रधानमंत्री टिकट जारी करने जा रहे हैं। पाठ्यक्रमों में आपको आरएसएस का इतिहास पढ़ाया जाएगा। तो उनकी पढ़ाई, उनकी तारीफ के बीच ये नहीं बताया जाएगा कि इस संगठन ने आजादी की लड़ाई में देश के साथ गद्दारी करने का काम किया है।”

स्वतंत्रता से लेकर आजाद भारत तक RSS का योगदान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के गठन के 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। इसका गठन 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने किया था। संघ का उद्देश्य भारत को एक संगठित, मजबूत और सांस्कृतिक रूप से जागरूक राष्ट्र बनाना था। बीते 100 वर्षों में RSS ने सांस्कृतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राष्ट्र निर्माण के कई क्षेत्रों में काम किया। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज के भारत में संघ की भूमिका निरंतर चर्चा में रही है।

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