दुबई से आ रहा एक व्यक्ति जब 7 मार्च 2024 को दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा तो उसके हाथ में एक महंगी रोलेक्स घड़ी थी जिसकी कीमत लगभग ₹13.5 लाख थी. उसने यह घड़ी पहनी हुई थी लेकिन कस्टम अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया और घड़ी जब्त कर ली.
कस्टम विभाग ने कहा कि व्यक्ति ने नियमों का उल्लंघन करते हुए महंगी वस्तु की घोषणा नहीं की. साथ ही यह भी कहा गया कि इतनी महंगी घड़ी को “व्यक्तिगत सामान” नहीं बल्कि “व्यावसायिक वस्तु” माना जाएगा. इसलिए उन्हें मुफ्त सामान की सीमा (₹50,000) का लाभ नहीं दिया गया.
फिर क्या हुआ?
30 जनवरी 2025 को कस्टम विभाग ने आधिकारिक रूप से आदेश दिया कि व्यक्ति ₹1,80,000 का जुर्माना भरकर घड़ी को भारत से बाहर ले जाने के लिए छुड़ा सकते हैं. लेकिन उन्हें यह जुर्माना 120 दिनों के भीतर देना था. व्यक्ति तय समय में जुर्माना नहीं दे पाया और फिर उसने इस आदेश के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
कोर्ट ने क्या कहा?
17 सितंबर 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि एक रोलेक्स घड़ी को “व्यावसायिक मात्रा” कहना बिलकुल गलत था. अदालत ने माना कि यह घड़ी महेश के व्यक्तिगत उपयोग के लिए हो सकती है और कस्टम विभाग की यह दलील कमजोर थी. हालांकि, कोर्ट ने ये भी कहा कि चूंकि महेश ने घड़ी की घोषणा नहीं की, इसलिए घड़ी की जब्ती न्यायसंगत है. साथ ही कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया कि वे अब 31 अक्टूबर 2025 तक ₹1.8 लाख का जुर्माना भरें और अपनी घड़ी को रिहा करवाएं.
कानूनी पेच: नियम क्या कहते हैं?
भारत सरकार के सामान नियम, 2016 के अनुसार, यात्री केवल ₹50,000 तक की वस्तुएं बिना ड्यूटी दिए भारत ला सकते हैं. व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं जैसे कपड़े, चश्मा, घड़ी आदि तो आते हैं, लेकिन अगर कोई वस्तु बहुत महंगी है, जैसे महेश की घड़ी, तो उसकी घोषणा जरूरी होती है. अगर यात्री ऐसा नहीं करते, तो कस्टम एक्ट की धारा 77 और 125 के अनुसार वह सामान जब्त हो सकता है और जुर्माना लग सकता है.