
रावण का वध
लंका का राजा रावण चारों वेदों और छह शास्त्रों का ज्ञाता माना जाता है, जिसे रामायण का खलनायक माना जाता है. रावण भगवान शिव का परम भक्त था और बहुत बड़ा ज्ञानी भी था. रावण बहुत शक्तिशाली होने के साथ ही अमर भी था. रावण का युद्ध में हराना बहुत असंभव था. हालांकि, एक रहस्य ऐसा था जिसके पते चलते ही भगवान श्रीराम ने उसका वध कर दिया था. रावण का यह रहस्य स्वयं उसके भाई विभीषण ने भगवान राम को बताया था. आइए जानते हैं कि वह रहस्य क्या था.
रावण अमर कैसे हुआ था?
रावण को अमर माना जाता है और उसकी अमरता की वजह थी, उसकी नाभि में स्थापित अमृत. रावण की नाभि में अमृत होने की वजह से उसे मारना लगभग असंभव था. रावण की नाभि में अमृत होने की बात मुख्य रूप से विभिन्न लोककथाओं और राम कथाओं में वर्णित है. हालांकि, वाल्मीकि रामायण में इसका वर्णन नहीं है.
रावण की नाभि में अमृत का वरदान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रावण को अमरता का वरदान ब्रह्माजी ने दिया था. उन्होंने रावण को वरदान किया कि उसकी नाभि में अमृत रहेगा और जब तक वह कुंड सूखेगा नहीं, रावण अमर रहेगा. यह अमृतकुंड उसे मारना असंभव बनाता था. अब ऐसे में सवाल आता है कि नाभि में अमृत होने के बाद भी उसका वध कैसे हुआ? आइए जानें.
रावण को अमरता का वरदान क्यों मिला?
ब्रह्म देव के वरदान से रावण की नाभि में अमृत कुंड बना था, जिससे उसे अमरता मिली थी. रावण को यह अमृत कुंड उसे तब मिला, जब उसने अपनी घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया था, लेकिन उसने मनुष्य के हाथों वध के अभिशाप से बचने के लिए स्वयं को अमर बनाने का तरीका चुना.
विभीषण ने भगवान राम को बताया यह रहस्य
रावण की नाभि में इस अमृत कुंड के बारे में की पत्नी मंदोदरी के अलावा केवल उसके भाई विभीषण को पता था. श्री राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें राम ने रावण पर कई बाण चलाए. श्री राम ने ब्रह्मास्त्र कई तीरों का प्रयोग कर रावण का वध करने की कोशिश की. युद्ध के दौरान रावण का शीश काटने पर भी नए शीश उग आते थे. ऐसे में विभीषण ने राम जी को बताया कि रावण की नाभि में अमृत है, जो उसके अमर होने का कारण है.
ऐसे में अमृत को सोखकर ही उसे मारा जा सकता है. ऐसे में भगवान राम ने अपनी शक्ति और तीरों का प्रयोग करके रावण की नाभि पर प्रहार किया. भगवान राम के इस वार से नाभि का अमृत कुंड सूख गया. इसके बाद श्री राम ने ब्रह्मास्त्र नामक एक शक्तिशाली दिव्यास्त्र का प्रयोग किया और शेष 30 तीरों ने उसके शरीर को काट गिराया, जिससे रावण का वध हो गया.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)