उत्तराखंड के 13 जिलों में दशहरे की तैयारियां जोरों पर हैं। बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक यह त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार भी राज्य के अलग-अलग हिस्सों में रावण के पुतले जलाए जाएंगे, जिसमें बड़े-बड़े नेता और स्थानीय लोग शामिल होंगे। आइए जानते हैं, कहां-कहां और कैसे होगी इस बार दशहरे की रौनक।
देहरादून में सीएम धामी की मौजूदगी में रावण दहन
राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड में इस बार दशहरा खास होने वाला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद 130 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन करेंगे। यह कार्यक्रम लोगों के बीच उत्साह और जोश भरने वाला है। परेड ग्राउंड में हर साल की तरह इस बार भी भारी भीड़ जुटने की उम्मीद है। लोग इस पल का इंतजार कर रहे हैं, जब रावण का विशाल पुतला आग की लपटों में जलकर राख होगा।
हल्द्वानी में सांसद और मेयर की मौजूदगी
हल्द्वानी के रामलीला ग्राउंड में रात 8 बजे रावण के पुतले को जलाया जाएगा। इस कार्यक्रम में सांसद अजय भट्ट और मेयर गजराज बिष्ट शामिल होंगे। स्थानीय लोग इस आयोजन को लेकर खासे उत्साहित हैं। रामलीला के बाद होने वाला यह पुतला दहन हल्द्वानी में दशहरे का मुख्य आकर्षण रहेगा।
अल्मोड़ा में केंद्रीय मंत्री और विधायक की भागीदारी
अल्मोड़ा के शिखर तिराहा के पास पार्किंग स्टैंड पर रावण दहन का आयोजन होगा। इस कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा और विधायक मनोज तिवारी पहले ही पहुंच चुके हैं। स्थानीय लोगों के साथ-साथ ये नेता भी इस पवित्र आयोजन का हिस्सा बनकर उत्सव को और खास बनाएंगे।
बागेश्वर में देर रात तक चलेगा उत्सव
बागेश्वर के नुमाइश खेत में भी रावण दहन का भव्य आयोजन होगा। यह कार्यक्रम देर रात तक चलेगा और स्थानीय लोग इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। रावण के पुतले को जलाने के साथ ही रामलीला का समापन भी होगा, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंच रहे हैं।
चमोली और चंपावत में भी दशहरे की धूम
चमोली के कर्णप्रयाग और गोपेश्वर में रामलीला के बाद रावण दहन का कार्यक्रम होगा। दोनों जगह स्थानीय लोग इस आयोजन को लेकर उत्साहित हैं। वहीं, चंपावत के लोहाघाट में भी पुतला दहन होगा, जिसमें नगर पालिका अध्यक्ष गोविंद वर्मा शामिल होंगे। यह आयोजन स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखने का एक शानदार मौका है।
पिथौरागढ़ में रामलीला मैदान बनेगा केंद्र
पिथौरागढ़ के नगर निगम स्थित रामलीला मैदान में भी रावण दहन का कार्यक्रम होगा। रामलीला के समापन के बाद पुतले को जलाया जाएगा। इस आयोजन में स्थानीय लोग और रामलीला प्रेमी भारी संख्या में जुटेंगे।
दशहरा उत्तराखंड में न सिर्फ धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह लोगों को एकजुट करने का भी मौका देता है। हर जिले में अलग-अलग अंदाज में होने वाले इन आयोजनों से राज्य की सांस्कृतिक विरासत और भी मजबूत होती है।