संघ की नदी जैसी यात्रा… RSS के 100वें वर्ष पर पीएम मोदी का विशेष लेख

संघ की नदी जैसी यात्रा... RSS के 100वें वर्ष पर पीएम मोदी का विशेष लेख

संघ प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 साल पूरे होने पर बधाई दी है. इसके साथ ही उन्होंने एक लेख भी लिखा है. पीएम ने लिखा कि 100 साल पूर्व विजयदशमी के महापर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी. ये हजारों वर्षों से चली आ रही उस परंपरा का पुनर्स्थापन था,जिसमें राष्ट्र चेतना समय-समय पर उस युग की चुनौतियों का सामना करने के लिए,नए-नए अवतारों में प्रकट होती है. इस युग में संघ उसी अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार है. ये हमारी पीढ़ी के स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि हमें संघ के शताब्दी वर्ष जैसा महान अवसर देखने मिल रहा है.

उन्होंने लिखा कि मैं इस अवसर पर राष्ट्र सेवा के संकल्प को समर्पित कोटि-कोटि स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं देता हूं. मैं संघ के संस्थापक, हम सभी के आदर्शपरम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार जी के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. संघ की 100 सालों की इस गौरवमयी यात्रा की स्मृति में भारत सरकार ने विशेष डाक टिकट और स्मृति सिक्के भी जारी किए हैं.

संगठन का उद्देश्य एक ही राष्ट्र प्रथम – पीएम मोदी

पीएम ने लिखा कि जिस तरह विशाल नदियों के किनारे मानव सभ्यताएं पनपती हैं, उसी तरह संघ के किनारे भी सैकड़ों जीवन पुष्पित-पल्लवित हुए हैं. जैसे एक नदी जिन रास्तों से बहती हैं, उन क्षेत्रों को अपने जल से समृद्ध करती हैं, वैसे ही संघ ने इस देश के हर क्षेत्र, समाज के हर आयाम को स्पर्श किया है. जिस तरह एक नदी कई धाराओं में ख़ुद को प्रकट करती है, संघ की यात्रा भी ऐसी ही है. संघ के अलग-अलग संगठन भी जीवन के हर पक्ष से जुड़कर राष्ट्र की सेवा करते हैं. शिक्षा, कृषि, समाज कल्याण, आदिवासी कल्याण,महिला सशक्तिकरण, समाज जीवन के ऐसे कई क्षेत्रों में संघ निरंतर कार्य करता रहा है. विविध क्षेत्र में काम करने वाले हर संगठन का उद्देश्य एक ही है, भाव एक ही है….राष्ट्र प्रथम

उन्होंने लिखा कि अपने गठन के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र निर्माण का विराट उद्देश्य लेकर चला. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संघ ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण रास्ता चुना और इस चलने के लिए जो कार्य पद्धति चुनी वो थी नित्य-नियमित चलने वाली शाखाएं. संघ शाखा का मैदान, एक ऐसी प्रेरणा भूमि है, जहां से स्वयंसेवक की अहम् से वयं की यात्रा शुरू होती है. संघ की शाखाएंव्यक्ति निर्माण की यज्ञवेदी हैं.

आगे लिखा कि राष्ट्र निर्माण का महान उद्देश्य, व्यक्ति निर्माण का स्पष्ट पथ और शाखा जैसी सरल, जीवंत कार्यपद्धति यही संघ की सौ वर्षों की यात्रा का आधार बने. इन्हीं स्तंभों पर खड़े होकर संघ ने लाखों स्वयंसेवकों को गढ़ा, जो विभिन्न क्षेत्रों में देश को आगे बढ़ा रहे हैं.

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पीएम मोदी ने 100 वर्ष पूरे होने पर डाक टिकट और सिक्का जारी किया था.

देश ही संघ के लिए हमेशा प्राथमिकता रही- मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि संघ जब से अस्तित्व में आया है. संघ के लिए देश की प्राथमिकता ही उसकी अपनी प्राथमिकता रही. आज़ादी की लड़ाई के समय परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार जी समेत अनेक कार्यकर्ताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया, डॉक्टर साहब कई बार जेल तक गए. आजादी की लड़ाई में कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों को संघ संरक्षण देता रहा. उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करता रहा है.

आगे लिखा, आजादी के बाद भी संघ निरंतर राष्ट्र साधना में लगा रहा, इस यात्रा में संघ के खिलाफ साजिशें भी हुईं, संघ को कुचलने का प्रयास भी हुआ. ऋषितुल्य परम पूज्य गुरु जी को झूठे केस में फंसाया गया, लेकिन संघ के स्वयंसेवकों ने कभी कटुता को स्थान नहीं दिया. क्योंकि वो जानते है, हम समाज से अलग नहीं हैं, समाज हमसे ही तो बना है. समाज के साथ एकात्मता और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति आस्था ने संघ के स्वयंसेवकों को हर संकट में स्थित प्रज्ञ रखा है. समाज के प्रति संवेदनशील बनाए रखा है.

प्राकृतिक आपदा के बाद सबसे पहले पहुंचते हैं स्वयंसेवक

उन्होंने लिखा कि प्रारंभ से संघ राष्ट्रभक्ति और सेवा का पर्याय रहा है. जब विभाजन की पीड़ा ने लाखों परिवारों को बेघर कर दिया, तब स्वयंसेवकों ने शरणार्थियों की सेवा की. हर आपदा में संघ के स्वयंसेवक अपने सीमित संसाधनों के साथ सबसे आगे खड़े रहते रहे. यह केवल राहत नहीं थी, यह राष्ट्र की आत्मा को संबल देने का कार्य था. खुद कष्ट उठाकर दूसरों के दुख हरना..ये हर स्वयंसेवक की पहचान है. आज भी प्राकृतिक आपदा में हर जगह स्वयंसेवक सबसे पहले पहुंचने वालों में से एक रहते हैं.

संघ अपना निभा रहा कर्तव्य

आगे लिखा कि अपनी 100 वर्षों की इस यात्रा में, संघ ने समाज के अलग-अलग वर्गों में आत्मबोध जगाया, स्वाभिमान जगाया है. संघ देश के उन क्षेत्रों में भी कार्य करता रहा है..जो दुर्गम हैंजहां पहुंचना सबसे कठिन है. संघ…दशकों से आदिवासी परंपराओं, आदिवासी रीति-रिवाज, आदिवासी मूल्यों को सहेजने-संवारने में अपना सहयोग देता रहा है. अपना कर्तव्य निभा रहा है. आज सेवा भारती,विद्या भारती, एकल विद्यालय, वनवासी कल्याण आश्रम, आदिवासी समाज के सशक्तिकरण का स्तंभ बनकर उभरे हैं.

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प्रधानमंत्री मोदी ने शेयर की तस्वीर

कई चुनौतियों से लड़ा है संघ- मोदी

पीएम ने लिखा कि समाज में सदियों से घर कर चुकी जो बीमारियां हैं, जो ऊंच-नीच की भावना है, जो कुप्रथाएं हैं, ये हिन्दू समाज की बहुत बड़ी चुनौती रही हैं. ये एक ऐसी गंभीर चिंता है, जिस पर संघ लगातार काम करता रहा है. डॉक्टर साहब से लेकर आज तक, संघ की हर महान विभूति ने, हर सर-संघचालक ने भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. परम पूज्य गुरु जी ने निरंतर न हिन्दू पतितो भवेत् की भावना को आगे बढ़ाया है. बाला साहब देवरस जी कहते थे- छुआछूत अगर पाप नहीं, तो दुनिया में कोई पाप नहीं! सरसंघचालक रहते हुए पूज्य रज्जू भैया जी और पूज्य सुदर्शन जी ने भी इसी भावना को आगे बढ़ाया है. वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी समरसता के लिए समाज के सामने एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान का स्पष्ट लक्ष्य रखा है.

संघ ने चुनौतियों से निपटने का बनाया रोडमैप

पीएम मोदी ने लिखा कि जब 100 साल पहले संघ अस्तित्व में आया था तो उस समय की आवश्यकताएं, उस समय के संघर्ष कुछ और थे, लेकिन आज 100 वर्षों बाद जब भारत विकसित होने की तरफ बढ़ रहा है. तब आज के समय की चुनौतियां अलग हैं, संघर्ष अलग हैं. दूसरे देशों पर आर्थिक निर्भरता, हमारी एकता को तोड़ने की साजिशें, डेमोग्राफी में बदलाव के षड़यंत्र, हमारी सरकार इन चुनौतियों से तेजी से निपट रही है. मुझे ये खुशी है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी इन चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस रोडमैप भी बनाया है.

आगे लिखा कि संघ के पंच परिवर्तन, स्व बोध, सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, नागरिक शिष्टाचार और पर्यावरण ये संकल्प हर स्वयंसेवक के लिए देश के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को परास्त करने की बहुत बड़ी प्रेरणा हैं.

अब अगली शताब्दी की यात्रा शुरू कर रहा संघ

प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा कि स्व बोध की भावना का उद्देश्य गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर अपनी विरासत पर गर्व और स्वदेशी के मूल संकल्प को आगे बढ़ाना है. सामाजिक समरसता के जरिए वंचित को वरीयता देकर सामाजिक न्याय की स्थापना का प्रण है. आज हमारी सामाजिक समरसता को घुसपैठियों के कारण डेमोग्राफी में आ रहे बदलाव से भी बड़ी चुनौती मिल रही है. देश ने भी इससे निपटने के लिए डेमोग्राफी मिशन की घोषणा की है. हमें कुटुम्ब प्रबोधन यानी परिवार संस्कृति और मूल्यों को भी मजबूत बनाना है. नागरिक शिष्टाचार के जरिए नागरिक कर्तव्य का बोध हर देशवासी में भरना है. इन सबके साथ अपने पर्यावरण की रक्षा करते हुये आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करना है.

अपने इन संकल्पों को लेकर संघ अब अगली शताब्दी की यात्रा शुरू कर रहा है. 2047 के विकसित भारत में संघ का हर योगदान, देश की ऊर्जा बढ़ाएगा, देश को प्रेरित करेगा. पुन: प्रत्येक स्वयंसेवक को बहुत-बहुत शुभकामनाएं.7

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