
भगवान राम, लक्ष्मण और रावण
भगवान राम ने रावण का वध आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किया था. हालांकि, रावण की मृत्यु से पहले समय ऐसा आया था कि जब भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को रावण के पास ज्ञान लेने के लिए भेजा था. अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है कि जब रावण इतना दुष्ट और दुराचारी था तो श्रीराम ने उसके ही पास लक्ष्मण जी को क्यों भेजा? हालांकि, इसके पीछे के एक विशेष कारण मिलता है, जो कि हम आपको इस लेख में बताएंगे.
राम ने लक्ष्मण को रावण के पास ज्ञान लेने क्यों भेजा?
भगवान राम ने रावण से ज्ञान सीखने के लिए लक्ष्मण को भेजा क्योंकि रावण वेदों और शास्त्रों का प्रकांड विद्वान था, और राम चाहते थे कि लक्ष्मण शत्रु के बजाय गुरु के रूप में उससे राज-काज, नीतिशास्त्र और जीवन के महत्वपूर्ण सबक सीखें. भगवान राम महान ज्ञानी का भी सम्मान करते थे, वे चाहते थे कि लक्ष्मण उस शरीर को केवल शत्रु की दृष्टि से न देखें, बल्कि उसमें छिपे हुए ज्ञान के प्रकाश को भी समझें.
जब भगवान राम ने रावण को युद्ध में मार दिया, तब रावण का शरीर युद्धभूमि में पड़ा रहा था. रावण कोई साधारण राक्षस नहीं था, बल्कि वह बड़ा शिव भक्त, अत्यंत ज्ञानी, वेदों का पारंगत और परम था. उसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था और उसे नीतिशास्त्र, आयुर्वेद, संहिताओं और ज्योतिष का भी ज्ञान था.
प्रभु राम का आदेश
जब रावण युद्धभूमि में मृत्युशैय्या पर पड़ा था, राम ने लक्ष्मण से कहा:-
गुरुं प्रच्छ सुशास्त्रज्ञं रावणं परमं द्विजम्।
नान्यः पण्डिततामेति यथा रावणपुंगवः॥
(रामायण में वर्णित)
अर्थ- लक्ष्मण! जाओ और इस महान ब्राह्मण, वेदों के ज्ञाता रावण से कुछ सीखो. वह अब हमारा शत्रु नहीं है. वह अब एक गूढ़ ज्ञानी है, जिसकी जैसी नीतिज्ञता शायद किसी और व्यक्ति में नहीं है. भगवान राम के इस आदेश से लक्ष्मण चकित हो गए थे कि जिस राक्षस ने सीता का हरण किया, जिस पर हमपर आक्रमण किया, उसी से सीखना क्यों?
भगवान राम के आदेशानुसार लक्ष्मण मृत्युशैय्या पर लेटे रावण के पास गए और उसके सिर के पास खड़े हो गए. लेकिन रावण कुछ नहीं बोला, जिसके बाद लक्ष्मण ने राम जी के पास जाकर कहा कि रावण तो मौन रहा. तब राम ने लक्ष्मण से कहा कि ज्ञान लेने जा रहे हो तो ‘शत्रु’ नहीं, बल्कि ‘गुरु’ मानकर उसके चरणों में बैठो. रावण मृत्युशैया था, लक्ष्मण ने उससे अंतिम शिक्षा ली और मृत्यु से पहले रावण ने तीन वाक्य कहे जो आज भी नीति के शिखर हैं.
रावण ने लक्ष्मण को बताईं तीन बातें
- अच्छे काम को कभी टालना नहीं चाहिए.
- बुरे काम को जितना हो, टालते रहना चाहिए.
- शत्रु को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए.
यही तीन भूल रावण के अंत कारण बनीं और यही तीन सीखें, लक्ष्मण को जीवन की सच्चाई दिखा गईं.
रावण के साथ केवल शरीर मरा, ज्ञान नहीं
भगवान राम जानते थे कि रावण भले ही अहंकारी था, पर वह एक प्रकाण्ड विद्वान, नीतिज्ञ और शिव भक्त भी था. उसका वध करना जरूरी था, लेकिन उसके ज्ञान को त्यागना नहीं. श्रीराम ने रावण का वध किया, लेकिन रावण के अनुभवों का नहीं. लक्ष्मण को उस शत्रु के पास ज्ञान लेने भेजकर भगवान राम शत्रु से भी शिक्षा लेने की संस्कृति को जन्म दिया.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)