भारत का आईपीओ मार्केट अक्टूबर में रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने वाला है, जहां कंपनियों की ओर से 5 अरब डॉलर से ज्यादा फंड जुटाने की उम्मीद है. जिससे साबित होता है कि दुनिया के सबसे बिजी इक्विटी सेंटर्स में से एक में निवेशकों की रुचि की कितनी गहरी और स्ट्रांग हैं. टाटा कैपिटल लिमिटेड और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक. की लोकल यूनिट द्वारा अरबों डॉलर के आईपीओ के अलावा कई दूसरी डील्स भी इस विश्वास में इजाफा पैदा करता है कि भारत का 5 ट्रिलियन डॉलर का शेयर बाजार बड़े इश्यूज को अपने अंदर आसानी से समा सकता है. भले ही अमेरिकी टैरिफ और कमजोर आय के कारण शेयर बाजार अन्य एशियाई बाजारों से पीछे रह गया हो.
शेयर बाजार पर निवेशकों का बढ़ा विश्वास
घरेलू म्यूचुअल फंडों से मजबूत निवेश के कारण इसमें तेजी देखने को मिली है. जिसने एफआईआई के विड्रॉल की भरपाई करने में मदद की है और अनिश्चित ग्लोबल इकोनॉमी में भारत को बैंकरों के लिए एक आकर्षक स्थान बनाया है. जेफरीज फाइनेंशियल ग्रुप और जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी जैसी कंपनियां जो गति पिछले साल देख रही थी, कुछ वैसी ही गति का अनुमान लगा रही हैं. उस समय भारतीय आईपीओ ने रिकॉर्ड 21 अरब डॉलर जुटाए थे. मुंबई में एचडीएफसी सिक्योरिटीज लिमिटेड के एमडी धीरज रेली ने कहा कि घरेलू निवेशकों की ओर से किए गए निवेश की वजह से बाजार को इस तरह के बड़े पैमाने पर धन जुटाने के लिए तैयार किया है.
कौन कौन से आने वाले हैं आईपीओ
अक्टूबर में आईपीओ की लिस्ट लंबी देखने को मिल रही है. जहां वीवर्क इंडिया मैनेजमेंट लिमिटेड 3 अक्टूबर को अपना 30 अरब रुपए (338 मिलियन डॉलर) का आईपीओ लॉन्च करेगी. उसके बाद 6 अक्टूबर को टाटा कैपिटल 155 अरब रुपए के शेयर बेचेगी. ब्लूमबर्ग न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स की भारतीय इकाई द्वारा उस सप्ताह लगभग 115 अरब रुपये जुटाने की उम्मीद है.
डिजिटल पेमेंट प्रोवाइडर, पाइन लैब्स लिमिटेड, अक्टूबर के अंत में 60 अरब रुपए जुटाने की योजना बना रही है, जबकि केनरा एचएसबीसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी 25 अरब रुपए का आईपीओ तैयार कर रही है. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी अपने पब्लिक इश्यू के लिए नियामक अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रही है, जो अक्टूबर के अंत में लॉन्च हो सकता है. एचएसबीसी सिक्योरिटीज एंड कैपिटल मार्केट्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में इंवेस्टमेंट बैंकिंग के को-हेड रणवीर दावड़ा ने कहा कि चूंकि भारत को मोटे तौर पर डिमांड ड्रिवन मार्केट के रूप में देखा जाता है, इसलिए बड़े पैमाने और क्वालिटी वाले आईपीओ में मजबूत रुचि बनी रहेगी.
अब तक कितना पैसा जुटा चुकी हैं कंपनियां?
निश्चित रूप से, विदेशी फंड, प्राइमरी ऑफर्स में भाग लेते हुए भी, कम निवेश कर रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार, भारतीय आईपीओ और प्लेसमेंट में उनका निवेश 2024 के 1.2 ट्रिलियन रुपए से घटकर इस साल 430 बिलियन रुपये रह गया है. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय कंपनियां जनवरी से सितंबर तक आईपीओ के जरिए लगभग 11.2 बिलियन डॉलर जुटा चुकी हैं. गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक में भारत इक्विटी कैपिटल मार्केट प्रमुख कैलाश सोनी के अनुसार, वर्ष के अंतिम तीन महीनों में 8 बिलियन से 10 बिलियन डॉलर और जुड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि निवेशकों की भागीदारी मजबूत बनी हुई है, कई कंपनियां वर्तमान में रोड शो कर रही हैं और घरेलू और ग्लोबल दोनों निवेशक भारत की ग्रोथ स्टोरी में पूंजी लगाने के लिए उत्सुक हैं.