भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंकिंग सिस्टम को और मजबूत बनाने और उसे और ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए चार बड़े और महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इन कदमों का मकसद बैंकिंग क्षेत्र में जोखिम कम करना, बेहतर प्रबंधन को बढ़ावा देना और ग्राहकों को भी सुरक्षित महसूस कराना है. RBI ने ये बदलाव खासतौर पर इस बात को ध्यान में रखते हुए किए हैं कि बैंक मजबूत रहें और आर्थिक चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकें.
जोखिम-आधारित जमा बीमा प्रीमियम
सबसे पहला और खास उपाय है जोखिम-आधारित जमा बीमा प्रीमियम का. पहले बैंक अपने जमा बीमा के लिए एक तय और समान प्रीमियम देते थे, चाहे उनका जोखिम स्तर कोई भी हो. लेकिन अब RBI ने कहा है कि बैंक को उनके जोखिम के आधार पर प्रीमियम देना होगा. यानी जो बैंक ज्यादा मजबूत और सुरक्षित होंगे, उन्हें कम प्रीमियम देना होगा, जबकि जो जोखिम ज्यादा उठाते हैं, उन्हें ज्यादा देना होगा. इससे बैंक बेहतर जोखिम प्रबंधन की तरफ प्रेरित होंगे और साथ ही पूरे सिस्टम की स्थिरता भी बढ़ेगी.
ECL प्रोविजन प्रेमवर्क होगा लागू
दूसरा बड़ा कदम है ECL (अपेक्षित ऋण हानि) प्रोविजन प्रेमवर्क को लागू करना. इसका मतलब है कि बैंक अब अपने संभावित खोए हुए कर्ज का अंदाजा पहले से लगाएंगे और उसके हिसाब से पैसे अलग से जमा रखेंगे. RBI ने इसे 1 अप्रैल 2027 से लागू करने का प्रस्ताव रखा है, और इसे धीरे-धीरे 31 मार्च 2031 तक पूरा किया जाएगा. इससे बैंक अचानक बड़े घाटे से बच सकेंगे और उनका वित्तीय ढांचा और मजबूत होगा.
रिवाइज्ड बेसल III मानदंड
तीसरा महत्वपूर्ण बदलाव RBI के संशोधित बेसल III पूंजी पर्याप्तता मानदंड में है. यह नियम अप्रैल 2027 से लागू हो सकते हैं. नए नियमों के तहत, कुछ खास क्षेत्रों जैसे MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) और होम लोन को कम जोखिम माना जाएगा. इसका मतलब है कि इन क्षेत्रों के लिए बैंक को कम पूंजी जमा करनी पड़ेगी, जिससे वे इन क्षेत्रों को ज्यादा कर्ज दे सकेंगे. इससे अर्थव्यवस्था में रोजगार और विकास को मदद मिलेगी.
निवेश से संबंधित रेग्यूलेशन
चौथा और अंतिम कदम है निवेश से जुड़ी नियमों में बदलाव. पहले बैंक और उनकी समूह संस्थाओं के बीच कारोबार को लेकर कड़ाई थी, जिससे वे अपने निवेश और व्यवसाय को पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से नहीं चला पाते थे. लेकिन अब RBI ने इस नियम को हटाकर बैंक बोर्डों को ज्यादा स्वतंत्रता दी है. बैंक अपनी जरूरत के हिसाब से निवेश और कारोबार की रणनीति खुद तय कर सकेंगे, जिससे उनकी कार्यक्षमता और बेहतर होगी.