
Delhi High Court on GST: जीएसटी रिफॉर्म को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि दरें कम की जाती हैं तो इसका फायदा ग्राहकों को कीमतों में कमी के तौर पर दिखना चाहिए. कंपनियों के जरिए सिर्फ पैकेज का साइज बढ़ाना या प्रमोशनल स्कीम चलाना और कीमतें वही रख लेना गलत है. साथ ही अदालत ने ऐसा करने को ग्राहक के साथ धोखाधड़ी करार दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने 23 सितंबर को यह आदेश जारी किया है. साथ कंपनी को साढ़े 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
पैकेट बड़ा करना ग्राहकों के साथ धोखा
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और शैल जैन की बेंच ने कहा कि GST कम करने का मकसद ही सामान और सेवाओं को सस्ता करना है. अगर कीमतें वही रह जाती हैं और सिर्फ प्रोडक्ट की मात्रा बढ़ा दी जाती है वो भी बिना ग्राहक की मर्जी के, तो यह धोखाधड़ी है. यह तरीका GST कटौती के मकसद को ही नाकाम करता है और इसे अनुमति नहीं दी जा सकती. कोर्ट ऐसा करने को ग्राहकों की पसंद पर अंकुश लगाना करार दिया है.’ बेंच ने कहा कि कीमत में कमी न करने को इस बुनियाद पर सही नहीं ठहराया जा सकता कि मात्रा बढ़ा दी गई है या कोई ऐसी योजना थी जो कीमत में इजाफे को सही ठहराती है.
कंपनी को लगाया साढ़े 5 लाख का जुर्माना
अदालत कंपनी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कंपनी ने NAPA (नेशनल एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी) के 2018 के आदेश को चुनौती दी थी. NAPA ने पाया कि कंपनी ने एक प्रोडक्ट पर GST 28% से 18% कम होने के बावजूद ग्राहक को फायदा नहीं पहुंचाया, बल्कि प्रति यूनिट कीमत 14.11 रुपये बढ़ा दी और पैकेज का साइज 100ml बढ़ा दिया. कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए NAPA के फैसले सही ठहराया और कंपनी को 550186 उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करने के साथ 18% ब्याज देना का आदेश दिया है.
22 सितंबर से GST में हुए बड़े बदलाव
भले ही यह मामला 2017 से जुड़ा है लेकिन हाल ही जीएसटी परिषद के जरिए किए गए जीएसटी रिफॉर्म को मद्देनजर रखते हुए इसकी अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है. 22 सितंबर 2025 से 12 और 28 फीसद वाले स्लैब को खत्म कर दिया है. अब सिर्फ 5% और 18% वाले दो स्लैब बाकी हैं. जबकि लक्जरी और शराब जैसी वस्तुओं पर 40% टैक्स रहेगा