कर्नाटक: बुकर विजेता मुस्लिम बानू मुश्ताक ने किया दशहरा उत्सव का उद्घाटन, हुआ विरोध तो CM सिद्धारमैया बोले- ये मानवता नहीं

कर्नाटक: बुकर विजेता मुस्लिम बानू मुश्ताक ने किया दशहरा उत्सव का उद्घाटन, हुआ विरोध तो CM सिद्धारमैया बोले- ये मानवता नहीं

मैसूर दशहरा उत्‍सव

कर्नाटक के प्रसिद्ध मैसूर चामुंडी मंदिर में दशहरा उत्सव की शुरुआत हो चुकी है. इसका उद्घाटन बुकर पुरस्कार विजेता मुस्लिम बानू मुश्ताक ने किया. हालांकि इसको लेकर काफी विरोध भी देखने को मिला था. पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जहां कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि ये सरकारी आयोजन है, निजी धार्मिक कार्यक्रम नहीं है. इसलिए धर्म के आधार पर फर्क करना बंद कर दीजिए. आज जब उत्सव की शुरुआत हुई तब भी इसका विरोध देखने को मिला.

बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक ने आज चामुंडेश्वरी मंदिर में 11 दिवसीय मैसूर दशहरा महोत्सव का उद्घाटन किया. उन्होंने राज्य उत्सव में अपनी भागीदारी को लेकर हो रहे विरोध का जवाब देते हुए एकता, समावेशिता और सांस्कृतिक सद्भाव पर जोर दिया.

उत्सव की शुरुआत के दौरान बानू मुश्ताक ने मंदिर में फूल अर्पित किए. इसके साथ ही दीप प्रज्वलित किया. उन्होंने कहा कि यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है. यह इस भूमि की संस्कृति और सद्भाव का उत्सव है.

सीएम के भाषण के दौरान भी दिखा लोगों का विरोध

मैसूर दशहरा उद्घाटन समारोह के मंच पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जब बोलना शुरू किया. तब इस दौरान कुछ लोग उठकर जाने लगे. उन्हें देख सीएम को अचानक गुस्सा आ गया और वे उन्हें डांटने लगे. उन्होंने गुस्से में कहा, “अरे, क्या तुम थोड़ी देर चुपचाप नहीं बैठ सकते? अरे, वो कौन है, एक बार बता दूं तो समझ जाओगे? तुम्हें घर पर ही रहना चाहिए था. अगर तुम डेढ़ घंटे तक सीधे नहीं बैठ सकते, तो यहां क्यों आए?” फिर उन्होंने पुलिस को निर्देश दिया कि किसी को भी बाहर न जाने दिया जाए और अपना भाषण जारी रखा.

बानू मुस्ताक को लेकर क्या बोले सीएम?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मैसूर दशहरा उद्घाटन के दौरान सभा को संबोधित करते हुए कहा, बानू मुश्ताक मुस्लिम हो सकती हैं, लेकिन सबसे बढ़कर वह एक इंसान हैं, हम सभी एक ही मानवता का हिस्सा हैं. यदि आप एक-दूसरे से प्यार करने में विफल रहते हैं, तो वह मानवता नहीं है.

ऐसा समाज बनाएं जहां नफरत न हो- बानू मुश्ताक

बानू मुश्ताक का कई जगहों पर विरोध देखने को मिला था. आलोचकों को जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “जो लोग मेरा विरोध कर रहे थे, मैंने अपने भाषण के माध्यम से एकता का संदेश दिया है. आइए हम प्रेम का एक ऐसा समाज बनाएं जहां सभी का समान हिस्सा और समान देखभाल हो.

उन्होंने कहा कि इस धरती के फूल एकता के साथ खिलें. हमारे भीतर की नफरत और असहिष्णुता दूर हो.” उन्होंने कहा, “यहां जलाया गया दीप पूरी मानव जाति में शांति, धैर्य और न्याय का संचार करें. यह दीप पूरे विश्व को प्रकाशित करें.”

क्यों बानू मुश्ताक को ही बनाया गया चीफ गेस्ट?

मैसूर दशहरा उत्सव की शुरुआत आज से 500 साल से भी पहले हुई थी. इसका पूरे देशभर में अलग ही महत्व है. राजा वोडेयार प्रथम ने 1610 में देवी चामुंडेश्वरी (दुर्गा का एक रूप) के सम्मान में इसकी शुरुआत की थी. 62 साल की बानू मुश्ताक कन्नड़ लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और किसान आंदोलनों और कन्नड़ भाषा आंदोलनों से जुड़ी रही हैं. साल 2025 में उन्हें International Booker Prize मिला था. उनकी इसी उपलब्धि को देखने को हुए राज्य सरकार ने उन्हें चीफ गेस्ट बनाया था.