बिहार चुनाव: RJD के हिस्से वाली मोतिहारी सीट से प्रियंका गांधी भर रहीं हुंकार, क्या प्रेशर पॉलिटिक्स की कोशिश?

बिहार चुनाव: RJD के हिस्से वाली मोतिहारी सीट से प्रियंका गांधी भर रहीं हुंकार, क्या प्रेशर पॉलिटिक्स की कोशिश?

तेजस्वी यादव और प्रियंका गांधी

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक दल मतदाताओं को अपनी-अपनी ओर आकर्षित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं. महागठबंधन में शामिल कांग्रेस भी अपनी चुनावी रणनीति बनाने में जुटी हुई है. इस बीच पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और केरल के वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने अपनी पहली रैली यानी जनसभा के लिए पूर्वी चंपारण की मोतिहारी विधानसभा सीट को चुना है. ये सीट फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गढ़ है, जिसमें कांग्रेस सेंध लगाने की रणनीति बना रही है.

अगर पूर्वी चंपारण जिले की बात करें तो इस जिले के अंतर्गत 12 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, हरसिद्धि (SC), गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन, मोतिहारी, चिरैया और ढाका शामिल हैं. इन्हीं सीटों में से एक मोतिहारी निर्वाचन क्षेत्र में प्रियंका गांधी 26 सितंबर को पहुंचेंगी, जहां वे दोपहर करीब एक बजे शहर के गांधी मैदान में अपनी पहली चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगी. इसके लिए जिला कांग्रेस तैयारी करने में जुटी हुई है. कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे भारी संख्या में रैली में शामिल हों. पार्टी इस जनसभा के जरिए दिखाना चाहती है कि राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के बाद से कार्यकर्ताओं का जोश हाई है.

प्रियंका गांधी ने क्यों चुना मोतिहारी?

पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत मोतिहारी विधानसभा सीट आरजेडी के खाते में गई थी. यह वही इलाका है, जहां राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से पहले आरजेडी और कांग्रेस के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए थे. ये विवाद राहुल गांधी की यात्रा के पोस्टर चिपकाने को लेकर हुआ था. मामला यहां तक बढ़ गया कि कांग्रेस ने आरजेडी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करवा दी थी.

पूर्वी चंपारण के कांग्रेस जिला अध्यक्ष गप्पू राय ने 28 अगस्त को मोतिहारी में राहुल की वोटर अधिकार यात्रा के पहुंचने से पहले 54 जगहों पर पोस्टर लगाए थे, जिसके बाद आरजेडी के कार्यकर्ता नाराज हो गए. उन्होंने शहर के गांधी चौक पर लगे पोस्टर्स फाड़ दिए थे और उनकी जगह आरजेडी के पोस्टर व बैनर चस्पा कर दिए. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि आरजेडी कार्यकर्ताओं ने जान से मारने की धमकी दी. इन्हीं आरोपों को आधार बनाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई गई थी.

प्रियंका की प्रेशर पॉलिटिक्स?

अब इस आरजेडी के हिस्से वाली मोतिहारी सीट से प्रियंका गांधी हुंकार भरने जा रही हैं. हालांकि अभी तक महागठबंधन में सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर सहमति नहीं बनी है. ऐसे में सवाल उठता है कि इस रैली के जरिए क्या प्रियंका गांधी प्रेशर पॉलिटिक्स को हवा दे रही हैं, ताकि आरजेडी खेमे को एक मैसेज दिया जा सके.

कांग्रेस सूबे में सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत 70 सीटों की मांग कर रही है, जबकि आरजेडी इससे कम सीटें देने पर अड़ी हुई है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने 70 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था और 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि 8 सीटें ऐसी थीं, जिस पर 5 हजार से कम वोटों से उसकी हार हुई थी. इस बार कांग्रेस राहुल गांधी की यात्रा के बाद चाहती है कि उसे वे सीटें ही ऑफर की जाएं जहां उसे आसानी से जीत हासिल हो सके. यही वजह है कि प्रियंका मोतिहारी को साधना चाहती हैं क्योंकि यहां 2015 के मुकाबला पिछले चुनाव में हार का अंतर कम हुआ है.

मोतिहारी सीट बीजेपी का गढ़

मोतिहारी विधानसभा सीट पर आखिरी बार कांग्रेस ने 2010 में विधानसभा चुनाव लड़ा था. चुनाव आयोग के मुताबिक, कांग्रेस ने यहां से अरविंद कुमार गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया था. इस सीट से बीजेपी ने प्रमोद कुमार और आरजेडी ने राजेश गुप्ता उर्फ बबलू गुप्ता को टिकट दिया था. बीजेपी को 51 हजार 888 और आरजेडी को 27 हजार 358 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के अरविंद गुप्ता के खाते में मात्र 7723 वोट गए थे. बीजेपी ने आरजेडी को 24530 वोटों के अंतर से हराया था. कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी, जबकि तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार सुरेश सैनी रहे थे, जिन्हें 9764 वोट मिले थे.

साल 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रमोद कुमार को 79,947, जबकि आरजेडी के विनोद कुमार श्रीवास्तव को 61,430 वोट मिले थे. कांग्रेस ने आरजेडी को समर्थन दिया था. बीजेपी ने आरजेडी को 18,517 मतों से हराया था.

पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में बीजेपी ने फिर से भरोसा जताते हुए अपने दिग्गज नेता प्रमोद कुमार को उतारा था. वहीं, महागठबंधन के वोट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत ये सीट आरजेडी के खाते में गई थी. उसने ओम प्रकाश चौधरी पर भरोसा जताया था, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के प्रमोद कुमार को 92,733 और आरजेडी के ओम प्रकाश को 78,088 वोट मिले. बीजेपी ने उन्हें 14,645 वोटों के अंतर से हराया. ये अंतर 2015 के मुकाबले घट गया था.