
शैलपुत्री माता की कथा
Navratri first day vrat katha: शक्ति का महापर्व शुरू हो चुका है, जिसका समापन 2 अक्टूबर को होगा. शारदीयनवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-अर्चना करने का विधान है. साथ ही, नवरात्रि के 9 दिनों में विधिपूर्वक व्रत भी किया जाता है. नवरात्रि का पहला दिन देवी के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री को समर्पित होता है. इस दिन विधिपूर्वक मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और उनकी कथा का पाठ किया जाता है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. ऐसे में आइए पढ़ते हैं मां शैलपुत्री की व्रत कथा.
पहले नवरात्रि की व्रत कथा
पहले नवरात्रि में मां शैलपुत्री की कथा का पाठ और श्रवण किया जाता है, जिसमें राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में मां सती का अपने पति भगवान शिव का अपमान न सह पाना और योगाग्नि में कूदकर आत्मदाह करना शामिल है. इसके बाद माता सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और वे मां शैलपुत्री कहलाईं. इस कथा का उद्देश्य भक्तों को मां दुर्गा के शक्ति रूप का स्मरण कराना और नवदुर्गा के प्रथम रूप की आराधना करने के लिए प्रेरित करना है.
नवरात्रि के पहले दिन कौन सी कथा पढ़ी जाती है?
नवरात्रि के पहले दिन की पौराणिक कथा के अनुसार, देवी शैलपुत्री पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष की पुत्री सती थीं. दक्ष प्रजापति ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया.
दक्ष प्रजापति ने अपनी पुत्री और दामाद को आमंत्रित न करने का उद्देश्य भगवान शिव का अपमान करना था, जिसे दक्ष ने अपनी योजना में शामिल किया था. माता सती अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल थीं, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें बिना निमंत्रण के जाने से रोकने की कोशिश. माता सती हठ कर बैठीं और शिव जी के आग्रह के बावजूद वहां गईं.
यज्ञ में पहुंचने पर माता सती को किसी ने सम्मान नहीं दिया और उनके पिता दक्ष ने भरे यज्ञ में भगवान शिव का अपमान किया. भरी सभी में अपने पति के अपमान को सह न पाने के कारण माता सती को क्रोधित हुईं और उन्होंने गुस्से में आकर उसी यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए.
इसके बाद देवी सती ने ही अगले जन्म में पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया. पर्वत की पुत्री होने के कारण ही उनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा. नवरात्रि के नौ दिनों में पहले दिन मां दुर्गा के इसी प्रथम स्वरूप यानी माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)