
वायनाड में भूस्खलन की वजह से 200 से अधिक लोगों की जान गई थी
केंद्र सरकार ने वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन की घटना को ‘गंभीर प्राकृतिक’ आपदा घोषित किया है. इसके साथ-साथ केंद्र सरकार ने इसके लिए सहायता प्रक्रिया की घोषणा भी की है. वायनाड में 30 जुलाई, 2024 को आए विनाशकारी भूस्खलन की चपेट में आए तीन गांव पूरी तरह से नष्ट हो गए थे. अब केंद्र सरकार ने सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए इसकी तीव्रता और प्रभाव को पहचानते हुए इसे गंभीर प्रकृति की आपदा घोषित कर दिया है.
केरल सरकार को एक पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि ऐसी गंभीर आपदाओं के लिए वित्तीय सहायता शुरू में राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) द्वारा प्रदान की जाती है, जिसे बाद में अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) द्वारा किए गए आकलन के आधार पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) द्वारा पूरक किया जाता है.
आलोचनाओं के बीच केंद्र ने लिया फैसला
केंद्र सरकार ने पत्र में कहा कि हालांकि, वायनाड जिले में मैप्पडी भूस्खलन आपदा की तीव्रता और परिणाम को ध्यान में रखते हुए, इसे आईएमसीटी द्वारा सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए गंभीर प्रकृति की आपदा माना गया है. केंद्र का फैसला राज्य सरकार की आलोचना और संसद में सांसदों की ओर से वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों को वित्तीय सहायता नहीं देने के विरोध के बीच आया है.
200 से अधिक लोगों की हुई थी मौत
30 जुलाई को, मूसलाधार बारिश के कारण वायनाड के चूरलमाला और मुंडक्कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ था. भूस्खलन की वजह से 200 से अधिक मौतें हुईं. इसमें कई घायल भी हो गए थे और हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा था. इसे केरल के इतिहास की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है.