
दीपक जलाकर पितरों को दें विदाई
पितृ दोष निवारण उपाय: अमावस्या का दिन पितरों की शांति और मोक्ष के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन शाम को घर और नदी किनारे दीपक जलाने से पितरों की आत्मा को सच्ची विदाई मिलती है और उनके साथ हमारे संबंध भी मजबूत होते हैं. यदि आप भी चाहते हैं कि पूर्वजों की संतुष्टि और आशीर्वाद हमेशा आपके ऊपर बना रहे, तो जानें किन जगहों पर, किस समय और किस विधि से दीपक जलाना सबसे शुभ माना गया है.
घर की आंगन या छत पर दीपक
शास्त्रों में घर के आंगन या छत पर दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है. यह विधि घर में पितरों की ऊर्जा को संतुलित करती है और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करती है. दीपक हमेशा दक्षिण दिशा की ओर रखें.
नदी, तालाब या जलाशय के किनारे दीपक
अमावस्या की शाम को जलाशयों के किनारे दीपक जलाने से पितरों की आत्मा को मोक्ष मिलता है. गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में दीपक प्रवाहित करना अत्यंत फलदायी माना गया है.
पीपल या बरगद के पेड़ के पास दीपक
पीपल और बरगद के पेड़ को पितरों का प्रतीक माना गया है. इस स्थान पर दीपक जलाने से पितृ दोष नष्ट होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है.
दीपक जलाते समय मंत्र का जाप
दीपक जलाते समय ॐ पितृभ्यः शान्तिं भवतु या ॐ असुर्या पितृभ्यो नमः मंत्र का उच्चारण करने से पूजा और अधिक प्रभावी होती है. मंत्र का सही उच्चारण पितरों की शांति के लिए अनिवार्य है.
समापन और शुभ मुहूर्त
अमावस्या की शाम को सूर्यास्त के बाद से शाम के 7 बजे तक दीपक जलाना शुभ माना गया है. यह समय पितरों की विदाई के लिए सबसे उत्तम होता है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.