
बवासीर, जिसे अर्श के नाम से भी जाना जाता है, गुदा मार्ग की एक आम बीमारी है। इस रोग का मुख्य कारण कब्ज होता है। अधिक मिर्च-मसाले और बाहरी भोजन का सेवन करने से पेट में कब्ज उत्पन्न होती है, जो मल को अधिक शुष्क और कठोर बना देती है।
इस स्थिति में मल त्याग के दौरान अधिक जोर लगाना पड़ता है, जिससे गुदा मार्ग में सूजन या मस्से बन जाते हैं। बवासीर दो प्रकार की होती है:
- खूनी बवासीर: मल के साथ खून बूंद-बूंद कर आता है।
- वादी बवासीर: मलद्वार पर सूजन होती है, लेकिन खून नहीं आता।
बवासीर के प्रकारबवासीर को छह प्रकारों में विभाजित किया गया है:
- पित्तार्श: मस्से नीले, पीले, या काले रंग के होते हैं। इनमें दुर्गंध आती है और पतला खून निकलता है।
- कफार्श: मस्से गहरे होते हैं, जिनमें पीड़ा, चिकनाहट, और खुजली होती है।
- वातार्श: मस्से ठंडे, चिपचिपे और काले-लाल रंग के होते हैं।
- सन्निपात: इसमें वातार्श, पित्तार्श और कफार्श के लक्षण मिलते हैं।
- संसर्गर्श: यह परंपरागत या बाहरी कारणों से उत्पन्न होता है।
- रक्तार्श (खूनी बवासीर): मस्से लाल होते हैं और गाढ़ा खून निकलता है।
बवासीर के कारण
- खराब पाचन क्रिया: अधिक तेल-मसाले वाले भोजन का सेवन पाचन तंत्र को कमजोर करता है।
- कब्ज: सूखा और कठोर मल बनने से मल त्याग के दौरान गुदा मार्ग में घाव बन जाते हैं।
- देर से उपचार: आहार और जीवनशैली की लापरवाही से रोग बढ़ सकता है।
बवासीर के लक्षण
- गुदा मार्ग के बाहर मस्सों का निकलना।
- शौच के साथ खून आना।
- चलने-फिरने में परेशानी।
- आंखों के सामने अंधेरा छाना और सिर में चक्कर आना।
- स्मरण शक्ति की कमी।
बवासीर के घरेलू उपाय
- हारसिंगार:
- हारसिंगार के फूलों को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें।
- हारसिंगार के बीज और काली मिर्च मिलाकर गोलियां बनाकर खाएं।
- कपूर:
- कपूर, रसोत, चाकसू और नीम के फूलों का पाउडर बनाएं। इसे मूली में भरकर भूनें और मटर के बराबर गोलियां बनाकर खाली पेट सेवन करें।
- वनगोभी:
- वनगोभी के रस को दिन में 3-4 बार मस्सों पर लगाएं।
- मूली:
- मूली के रस में जलेबी मिलाकर एक घंटे बाद सेवन करें।
- रीठा:
- रीठा के छिलके को जलाकर उसकी भस्म को शहद के साथ चाटें।