GST कटौती के बाद सरकार का एक और बड़ा फैसला-जानकर मिलेगी राहत


नई दिल्‍ली: सरकार ने जीएसटी दरों में कमी के बाद एक और बड़ा फैसला लिया है। उसने पैकेजिंग नियमों को आसान बनाया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने गुरुवार को कंपनियों के लिए पैकेजिंग और मूल्य निर्धारण नियमों में ढील दी। 22 सितंबर से गुड्स एंड सर्विस टैक्‍स (जीएसटी) की दरों में कटौती लागू होगी। पैकेजिंग नियमों को आसान बनाने का उद्देश्य कम्‍प्‍लायंस बोझ को कम करना है। साथ ही उपभोक्ताओं को कम टैक्‍स का लाभ सुनिश्चित करना है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने एक एडवाइजरी जारी की है। ऐसा करके निर्माताओं, पैकर्स और आयातकों को 22 सितंबर से पहले उत्पादित बिना बिके माल पर स्वेच्छा से संशोधित मूल्य स्टिकर लगाने की अनुमति दी है। शर्त यह है कि पुराने अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) दिखाई दे रहे हों।
दोबारा स्टिकर लगाना वैकल्‍प‍िकसरकार ने कहा कि दोबारा स्टिकर लगाना वैकल्पिक है। यह कंपनियों के लिए अनिवार्य नहीं है। विधिक माप विज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 के नियम 33 के जरिये यह छूट दी गई है। कंपनियों को अब नियम 18(3) के तहत पहले की तरह दो समाचार पत्रों में संशोधित एमआरपी प्रकाशित करने की जरूरत नहीं होगी।

इसके बजाय निर्माताओं और आयातकों को संशोधित मूल्य सूची केवल थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को ही भेजनी होगी। इसकी प्रतियां केंद्रीय और राज्य विधिक माप विज्ञान अधिकारियों को भेजी जाएंगी।

कंपन‍ियों को दी गई है यह सलाह
इसके अलावा कंपनियां जीएसटी संशोधन से पहले पब्लिश मौजूदा पैकेजिंग सामग्री का इस्‍तेमाल 31 मार्च, 2026 तक या स्टॉक समाप्त होने तक, जो भी पहले हो, कर सकती हैं। कंपनियां ऐसी पैकेजिंग पर स्टाम्पिंग, स्टिकर या प्रिंटिंग के जरिये अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को सही कर सकती हैं।

मंत्रालय ने कंपनियों को सलाह दी है कि वे इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के जरिये डीलर, खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को संशोधित जीएसटी दरों के बारे में सूचित करें।

एडवाइजरी में कहा गया, ‘यह कदम व्यापार करने में आसानी और उपभोक्ता संरक्षण के बीच संतुलन बनाता है।’ यह सुनिश्चित करते हुए कि उद्योगों पर अत्यधिक बोझ न पड़े और उपभोक्ताओं को जीएसटी कटौती का अपेक्षित लाभ मिले।