लोनी थाना क्षेत्र में हाल ही में एक ऐसी दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया, जिसने ना सिर्फ पुलिस बल्कि समाज को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। 23 वर्षीय एक मानसिक रूप से कमजोर और बोलने-सुनने में अक्षम युवती के साथ घिनौना गैंगरेप किया गया। उस मासूम की तस्वीर में जो असहायता झलकती थी, उसे देखकर इंसानियत शर्मसार हो उठी।

यह बात सच है कि पीड़िता खुद अपनी दर्दनाक आवाज़ नहीं उठा पाई, पर उसके परिवार वालों ने न्याय के लिए लड़ाई जारी रखी। इस दर्दनाक वारदात के बाद पीड़िता ने अपनी ज़िंदगी खत्म कर ली, एक ऐसी जिंदगी जो शायद अब इस दर्दनाक हादसे से पहले कभी बेसहारा नहीं थी। उसकी मौत ने एक गहरा स्याह धब्बा छोड़ दिया है, जो समाज को लंबे समय तक मथता रहेगा।
हालांकि गाजियाबाद पुलिस इस मामले में अपनी कार्रवाई की तारीफ कर सकती है। उन्होंने गैंगरेप में शामिल दो आरोपियों को पकड़ने के लिए कड़ी पहल की और एनकाउंटर के जरिए दोनों गिरफ्तार कर लिए। पुलिस की टीम निठौरा अंडरपास के पास संदिग्ध वाहनों की जांच कर रही थी, तभी दो संदिग्ध मोटरसाइकिल पर आते नजर आए। पुलिस के रुकने के संकेत को नजरअंदाज कर वे भागने लगे और फिर जानलेवा फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने भी गोली चलाई जिसमें दोनों आरोपियों के पैर में गोली लगी और वे गिर पड़े।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान रोहित (31) पुत्र धर्मवीर और वीर सिंह उर्फ भोला (53) पुत्र ज्ञानचंद्र के रूप में हुई है। इनके कब्जे से दो अवैध तमंचे, खोखा कारतूस, जिंदा कारतूस और चोरी की मोटरसाइकिल बरामद हुई है। पुलिस का कहना है कि इनका अपराधी रिकॉर्ड भी कड़ा है।
यह घटना न केवल पीड़िता के परिवार बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है। यह सोचने पर मजबूर करती है कि एक ऐसी लड़की जो पहले से ही मानसिक रूप से कमजोर थी, उसे कितना दर्द सहना पड़ा। वहीं, पुलिस की कार्रवाई भी बताती है कि अपराधियों पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।
पर सवाल यही रहता है कि क्या भविष्य में इस तरह के जघन्य अपराधों को रोका जा सकेगा? क्या पीड़िताओं को सुरक्षित महसूस कराया जा सकेगा ताकि वे भी आवाज़ उठा सकें? और सबसे बड़ी बात, क्या हमारा समाज इन मासूमों के लिए बेहतर जगह बन सकेगा?