
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू (Markandey Katju) एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं. इस बार उनका बयान महिला वकीलों से जुड़ा है, जिसने सोशल मीडिया पर भूचाल ला दिया. दरअसल X पर एक महिला वकील ने जस्टिस काटजू से सवाल किया कि कोर्ट में प्रभावी ढंग से केस कैसे रखा जाए. इस पर काटजू ने ऐसा जवाब दिया, जिसने सबको हैरान कर दिया. उन्होंने लिखा, “जिन महिला वकीलों ने मुझे आंख मारी, उन्हें कोर्ट से अनुकूल फैसले मिले.”
काटजू की यह टिप्पणी देखते ही देखते वायरल हो गई. कई वकीलों और यूज़र्स ने इसे “महिलाओं का अपमान और न्यायपालिका की गरिमा को ठेस” बताया. आलोचना इतनी बढ़ी कि काटजू ने कुछ ही देर बाद अपना पोस्ट डिलीट कर दिया. लेकिन तब तक इसके स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर धड़ाधड़ फैल चुके थे.
लोग काटजू पर उठा रहे सवाल
एक वकील ने पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए लिखा “पोस्ट तो अब डिलीट हो गया, लेकिन इनके सभी आदेशों की दोबारा समीक्षा होनी चाहिए.” वहीं कुछ अन्य लोगों ने सवाल उठाया कि आखिर इस तरह का बयान एक पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज को शोभा क्यों नहीं देता.
आलोचनाओं की लंबी लिस्ट
यह पहली बार नहीं है जब मार्कंडेय काटजू अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में आए हों. साल 2015 में उन्होंने कहा था कि अगर दिल्ली चुनाव में बीजेपी किरण बेदी की जगह शाजिया इल्मी को सीएम उम्मीदवार बनाती तो नतीजे बेहतर होते, क्योंकि शाज़िया “ज्यादा खूबसूरत” हैं.
साल 2020 में हाथरस गैंगरेप केस पर उन्होंने टिप्पणी की थी कि “रेप पुरुषों की प्राकृतिक प्रवृत्ति है, बेरोजगारी और शादी न हो पाने से यह बढ़ती है.” इस बयान पर उन्हें जमकर आलोचना झेलनी पड़ी थी. इसके अलावा वे हिजाब विवाद, राजनीति और यहां तक कि भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश के पुन:एकीकरण जैसे मुद्दों पर भी बेबाक लेकिन विवादास्पद राय देते रहे हैं.
काटजू का करियर
मार्कंडेय काटजू साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और 2011 में रिटायर हुए. इससे पहले वे मद्रास हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. रिटायरमेंट के बाद 2014 तक उन्होंने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी भी संभाली. आज भी वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं और अक्सर राजनीति, साहित्य और दर्शन से जुड़े विचार साझा करते हैं. लेकिन उनके कई बयानों की वजह से विवाद भी खड़े होते रहे हैं.
फिलहाल मचा घमासान
उनके ताजा बयान को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार बहस छिड़ी है. जहां एक ओर लोग इसे “महिला वकीलों का अपमान” बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे “न्यायपालिका की साख को चोट” मान रहे हैं. भले ही काटजू ने अपना पोस्ट डिलीट कर दिया हो. लेकिन इस विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सोशल मीडिया पर उनका हर बयान पलभर में सुर्खियां बन जाता है.