
बाजार में जब भी ब्रेड खरीदनी हो, ज्यादातर लोग ब्राउन ब्रेड को हेल्दी मानकर चुपचाप चुन लेते हैं। ‘ब्राउन ब्रेड सफेद ब्रेड से ज्यादा फायदेमंद है’ – यह धारणा आजकल लोगों में तेजी से फैली हुई है। लेकिन क्या सच में ब्राउन ब्रेड, व्हाइट ब्रेड की तुलना में सेहत के लिए बेहतर है या ये भी एक मिथ है?
ब्रेड की वैरायटी की बात करें तो आजकल सुपरमार्केट में सफेद, बटर, ब्राउन और मल्टीग्रेन जैसी ब्रेड्स देखने को मिलती हैं। अक्सर फिटनेस के प्रति सजग लोग ब्राउन ब्रेड को लेने में खुद को स्मार्ट समझते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह सफेद ब्रेड से अधिक पौष्टिक और कम नुकसानदेह है।
एक्सपर्ट्स की चेतावनी – ब्रेड, चाहे कोई भी हो, जंक फूड है
Indian Academy of Pediatrics (IAP) की गाइडलाइंस में लिखा है कि ब्रेड असल में ‘अल्ट्रा प्रोसेस्ड’ फूड है और इसे बच्चों के डाइट में शामिल करने की सिफारिश नहीं की जाती। ब्रेड में पोषण यानी प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स की मात्रा बहुत कम होती है, जबकि भारी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी पाई जाती है। सफेद ब्रेड, जो मुख्य रूप से मैदे से बनती है, उसमें मौजूद कार्ब्स वजन तो बढ़ाते ही हैं, साथ ही डायबिटीज या हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों का भी खतरा बढ़ा देते हैं।
क्या ब्राउन ब्रेड वाकई हेल्दी होती है?
अब आएं सालों से चले आ रहे ‘ब्राउन ब्रेड हेल्दी है’ वाले मिथ पर। बाजार में मिलने वाली ज्यादातर ब्राउन ब्रेड या तो रिफाइंड आटे (मैदा) से ही तैयार की जाती है या बस रंग देखकर लोग धोखा खा जाते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनमें रंग या स्वाद के लिए अक्सर केमिकल या कलरिंग एजेंट इस्तेमाल किए जाते हैं। ब्राउन ब्रेड भी उसी प्रोसेस से बनती है, जिससे व्हाइट ब्रेड – पोषण में कोई खास फर्क नहीं।
ब्रेड से होने वाले नुकसान
चाहे सफेद खाएं या ब्राउन – ब्रेड खाने से ज्यादा फायदा नहीं मिलता, उल्टा लगातार ब्रेड खाना शरीर के लिए नुकसानदायक ही हो सकता है। खासकर बच्चे और फिटनेस प्रेमी जो रोजाना ब्रेड खाते हैं, उन्हें पेट भरने के लिए तो ब्रेड मिल जाती है, लेकिन असली पोषण नहीं। लगातार प्रोसेस्ड ब्रेड खाना मोटापा, डायबिटीज, पेट की समस्याएं आदि बढ़ा सकता है। ऊपर से रेडी टू ईट ब्रेड में प्रिजर्वेटिव्स, शुगर, सोडियम आदि काफी मात्रा में मिल जाते हैं।
क्या करें – हेल्दी ऑप्शन क्या है?
अगर समय की कमी की वजह से ब्रेड खाना मजबूरी है तो कोशिश करें कि इसे हफ्ते में एक-दो बार ही खाएं, डेली रूटीन का हिस्सा न बनाएं। बच्चों और बड़ों के लिए अच्छा विकल्प है – अदरक, फल, नट्स, ओट्स, होल व्हीट या फिर घर में बना ताजा खाना। अगर ब्रेड लेकर भी आएं तो उसकी सामग्री की लिस्ट जरूर पढ़ें – क्या उसमें वाकई होल ग्रेन, हाई फाइबर या कोई दूसरा पौष्टिक तत्व है या सिर्फ रंग देखकर ही ले रहे हैं?
निष्कर्ष
‘ब्राउन ब्रेड हेल्दी है’ – यह सिर्फ एक भ्रम है, अगर उसकी सामग्री अलग नहीं है। किसी भी तरह की ब्रेड रोजाना खाना सेहत के लिए घातक हो सकता है। IAP की गाइडलाइंस साफ कहती हैं – बच्चों के खानपान में ब्रेड कम से कम रखें, सेहत और फिटनेस के नाम पर प्रचारित ब्रेडस पर आंख बंद करके भरोसा न करें।
(डिस्क्लेमर: यह खबर जागरूकता के लिए तैयार की गई है। डाइट से जुड़ा कोई बड़ा बदलाव करने से पहले न्यूट्रीशियन या डॉक्टर से सलाह जरूर लें।)