क्या आपके बच्चे को भी चीनी-नमक! दे रहे हैं? जानिए डॉक्टरों की वॉर्निंग और सही न्यूट्रीशन की पूरी गाइड

क्या आपके बच्चे को भी चीनी-नमक! दे रहे हैं? जानिए डॉक्टरों की वॉर्निंग और सही न्यूट्रीशन की पूरी गाइड

नई मां बनते ही घर में सलाहों की बौछार शुरू हो जाती है—कभी दादी-नानी के तजुर्बे, कभी डॉक्टरों की पुख्ता रिसर्च। सबसे आम बहस होती है: छोटे बच्चों को खाना स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें नमक और चीनी मिलाना चाहिए या नहीं? वहीं, सोशल मीडिया और मेडिकल पैनल्स के अनुसार, डॉक्टर्स छोटे बच्चों के लिए इन दोनों चीजों को अलर्ट साइन मानते हैं।

दादी-नानी की सोच है कि स्वाद के बिना बच्चा सॉलिड फूड क्यों और कैसे पसंद करेगा? वहीं, न्यू-मॉम्स की एक पीढ़ी तर्क देती है कि – “जिस स्वाद का बेबी ने कभी अनुभव ही नहीं किया, उसे याद भी कैसे करेगा?”

डॉक्टर्स की राय – क्यों ना दें नमक?

गुरुग्राम के नामी हॉस्पिटल के पीडियाट्रिशन डॉ. राजीव छाबड़ा के अनुसार, शिशुओं की किडनी पूरी तरह विकसित नहीं होती, इसलिए अगर उन्हें ज्यादा नमक मिल गया तो उनका शरीर उसे सही तरह से बाहर नहीं निकाल पाएगा और यह सेहत के लिए हानिकारक होगा। जल्दी नमक खाने से बच्चा नैचुरल स्वादों से दूर हो जाता है और हमेशा नमकीन या प्रोसेस्ड फूड की चाहत रखने लगता है। बच्चों को मां के दूध या फॉर्मूला से पर्याप्त सोडियम मिल जाता है, इसलिए एक्स्ट्रा नमक की कतई जरूरत नहीं होती।

अगर जल्दी नमक देना शुरू कर दें तो शरीर से कैल्शियम तेजी से बाहर निकलता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।

चीनी देना क्यों खतरनाक है?

बेंगलुरु की डॉक्टर परिमला का कहना है कि बच्चों को शुरू से ही चीनी देने से उन्हें मीठे की आदत पड़ जाती है और वे फल, सब्जियां आदि पसंद नहीं करते। यह दांतों के लिए भी नुकसानदायक है—यहां तक कि दूध के दांत निकलने से पहले भी कैविटी हो सकती है। जल्दी चीनी खाने से ब्लड शुगर तेजी से बढ़ता है, जिससे बच्चे चिड़चिड़े हो सकते हैं, उनकी नींद भी खराब होती है और बढ़ती उम्र में मोटापा या डायबिटीज का खतरा कई गुना हो जाता है।

एक्सपर्ट मानते हैं कि पहले 1000 दिनों तक अगर बच्चे चीनी से दूर रहें, तो आगे चलकर उनकी सेहत बेहतर रहती है और ब्लड प्रेशर, डायबिटीज का रिस्क कम रहता है।

बुजुर्ग क्यों अलग राय रखते हैं?

पुराने जमाने में बच्चे जो खाते थे, वह अधिकतर ऑर्गेनिक और शरीर के लिए हेल्दी था। आजकल पैकेज्ड फूड का जमाना है, जिसमें छुपा हुआ नमक और चीनी पहले से मौजूद रहती है—इसलिए अबादी रिस्क डबल हो गई है। बुजुर्गों को लगता है कि नमक-चीनी स्वाद के लिए जरूरी है, मगर डॉक्टरों के अनुसार यह सिर्फ आदतों का मामला है।

सही तरीका क्या है?

वर्तमान विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि दो साल तक शिशु को नमक और चीनी न दें। फल, सब्जी का नैचुरल स्वाद ही बच्चे के विकास के लिए पर्याप्त है। एक साल बाद थोड़ा-थोड़ा स्वादिश्ट कर सकते हैं, वो भी बेहद कम मात्रा में। चीनी-नमक को शिशु के मुख्य आहार का हिस्सा न बनाएं।

निष्कर्ष

बच्चे के खान-पान से जुड़ा हर फैसला माता-पिता की जिम्मेदारी है। पुराने अनुभव और डॉक्टरों की सलाह के बीच संतुलन जरूरी है, लेकिन जब बात हेल्थ रिस्क की हो तो रिसर्च-आधारित सलाह पर ही ध्यान देना समझदारी होगी।

(अस्वीकरण: यह जानकारी विशेषज्ञों के सामान्य सुझावों पर आधारित है। बच्चे को कोई भी चीज़ देने पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।)