बिहार की राजनीति हमेशा अपने अप्रत्याशित उलटफेरों के लिए जानी जाती है। कभी जातीय समीकरणों का खेल तो कभी पुराने दुश्मनों से नई दोस्ती, यहां सबकुछ संभव है। इसी कड़ी में एक ऐसा ही दिलचस्प राजनीतिक ड्रामा सामने आया है – वो शख्स जिसने कभी तेजस्वी यादव को भूमिहारों का नेता बनाने की रणनीति बनाई थी, वही अब ऐन चुनावी साल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गया है। यह शख्स हैं आशुतोष कुमार, भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष। राजनीतिक गलियारों में इसे “गजब की पॉलिटिक्स” बताया जा रहा है।

3 मई 2022 की तस्वीर और तेजस्वी का नया रोल
3 मई 2022 को पटना के बापू सभागार में भूमिहारों के भगवान माने जाने वाले परशुराम जयंती का आयोजन हुआ। यह वही अवसर था जब तेजस्वी यादव ने एक लंबा-चौड़ा फेसबुक पोस्ट लिखकर खुद को सामाजिक न्याय का ध्वजवाहक बताया और यह संदेश दिया कि “सोशल जस्टिस” का मतलब किसी को अलग-थलग करना नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर चलना है। इस पोस्ट ने पहली बार संकेत दिया कि राजद अब भूमिहार समाज यानी सवर्ण वोट बैंक को भी साधने की कोशिश कर रही है। उस समय किसी ने शायद नहीं सोचा था कि यह प्रयास भविष्य में इतनी बड़ी राजनीतिक हलचल खड़ा करेगा।
भूमिहारों को तेजस्वी से जोड़ने वाले असली सूत्रधार
असल में, तेजस्वी यादव को भूमिहार समाज से जोड़ने की कोशिश के पीछे सबसे बड़ी भूमिका आशुतोष कुमार की थी। जहानाबाद के रहने वाले आशुतोष लंबे समय से भूमिहार समाज की आवाज़ माने जाते हैं। 90 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव के राज में सवर्ण समाज, खासकर भूमिहारों का, कथित तौर पर उपेक्षा भरा दौर था, तब आशुतोष ने उस दूरी को पाटने की रणनीति बनानी शुरू की थी। यही कारण था कि परशुराम जयंती जैसे मंच पर जब तेजस्वी यादव पहुंचे और “ATOZ” जैसे नारों के ज़रिए भूमिहार समाज को लुभाने की कोशिश की, तो उसके पीछे आशुतोष कुमार की ही भूमिका मानी गई।
जन जन पार्टी से बड़ी सियासी छलांग
हालांकि भूमिहार समाज में आशुतोष को लेकर विरोधाभास भी रहा। जब वे तेजस्वी यादव को लेकर भूमिहारों के बीच आए तो समाज के एक हिस्से ने उनका विरोध भी किया। इसके बावजूद उन्होंने अपनी सियासी महत्वाकांक्षा जारी रखी और राष्ट्रीय जन जन पार्टी बनाकर 2024 का लोकसभा चुनाव जहानाबाद से लड़ा। लेकिन उन्हें महज 13,213 वोट ही मिल सके। यह नतीजा उनकी राजनीतिक जमीन की हकीकत बताने के लिए काफी था।
अब बीजेपी की राह क्यों चुनी आशुतोष ने?
2025 के विधानसभा चुनाव से पहले आशुतोष कुमार ने अचानक बीजेपी का दामन थाम लिया। उन्होंने बाकायदा अपने फेसबुक पेज पर इसे लाइव किया और हजारों समर्थकों के साथ बीजेपी दफ्तर पहुंचे। वहां उनका स्वागत खुद डिप्टी सीएम और भूमिहार समाज से आने वाले बड़े नेता विजय कुमार सिन्हा के साथ बैठाकर किया गया। इस कदम ने साफ कर दिया कि वे अब पूरी तरह पाला बदल चुके हैं और सियासी सफर के नए अध्याय के लिए तैयार हैं।
लेकिन सवाल यही है कि उन्होंने यह फैसला क्यों लिया? राजनीतिक जानकार मानते हैं कि राजद नेतृत्व ने हाल के दिनों में सवर्ण समाज को लेकर जो बयान और रवैया अपनाया, उसने भूमिहारों के बीच गुस्से की नई लहर पैदा कर दी। राजद प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने पुराने दौर का नारा “भूरा बाल साफ करो” (भू = भूमिहार, रा = राजपूत, बा = ब्राह्मण, ल = लाला/वैश्य) दोहरा दिया। यहां तक कि कई आरजेडी नेताओं की सभाओं में खुलेआम यह नारा लगाया गया। जाहिर है, इससे सवर्ण समाज राजद से फिर खफा हो गया और आशुतोष कुमार ने भी इस गुस्से को भांपते हुए बीजेपी का सहारा ले लिया।
बिहार में नया सियासी खेल?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या बीजेपी में शामिल होकर आशुतोष कुमार भूमिहार वोटों को सच में प्रभावित कर पाएंगे या यह उनका निजी ‘करियर मूव’ भर है? राजनीतिक बारीकियों के जानकार मानते हैं कि भूमिहार समाज बीजेपी का पारंपरिक वोटबैंक माना जाता है, और आशुतोष के आने से इस धारणा को और मजबूती मिल सकती है। वहीं तेजस्वी यादव और आरजेडी की यह कोशिश कि वे सवर्ण समाज को भी अपनी तरफ आकर्षित करेंगे—कम से कम फिलहाल तो इस पारी में विफल होती दिख रही है।