सरकार ने जीएसटी व्यवस्था को और सरल बनाने के लिए बड़ी पहल करने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से दिए अपने संबोधन में जीएसटी में बड़े बदलाव आने की बात कही। उनका उद्देश्य टैक्स व्यवस्था को आम जनता और व्यापारियों के लिए और आसान बनाना है ताकि व्यापार में सरलता आए और उपभोक्ताओं को सस्ता सामान मिल सके। वर्तमान में देश में जीएसटी की चार प्रमुख दरें लागू हैं, जिनमें शामिल हैं पांच प्रतिशत, बारह प्रतिशत, अठारह प्रतिशत और अट्ठाईस प्रतिशत। यह प्रणाली कई बार जटिल हो जाती है, जिससे करदाताओं को परेशानी होती है।

सरकार की नई योजना के अनुसार, 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत वाले स्लैब को समाप्त करने की तैयारी हो रही है। इसके लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह को योजना का प्रारूप सौंपा जा चुका है और सितंबर में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा। इस कदम से टैक्स व्यवस्था में काफी सहजता आएगी और कर प्रणाली की जटिलता कम होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, इससे न सिर्फ व्यापारियों को बल्कि उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा।
वर्तमान व्यवस्था में आवश्यक वस्तुओं पर कोई जीएसटी नहीं लगता है। वहीं, रोजमर्रा के उलाहना सामान जैसे साबुन, टूथपेस्ट आदि पर पांच प्रतिशत जीएसटी, सामान्य वस्तुओं पर बारह प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सेवाओं पर अठारह प्रतिशत और लक्जरी तथा हानिकारक वस्तुओं पर अट्ठाईस प्रतिशत जीएसटी लागू है। नए प्रस्ताव के अनुसार, बारह प्रतिशत स्लैब को समाप्त करके उसमें शामिल वस्तुओं को पांच प्रतिशत स्लैब में लाया जाएगा, जबकि अट्ठाईस प्रतिशत वाले अधिकांश आइटम अब अठारह प्रतिशत के दायरे में आएंगे।
इसके प्रभाव से बहुत सी वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी। उदाहरण के तौर पर, पांच प्रतिशत जीएसटी वाले स्लैब में आने वाली वस्तुओं में हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, साबुन, टूथ पाउडर, प्रोसेस्ड फूड, फ्रोजन सब्जियां, कंडेंस्ड मिल्क, स्नैक्स, कंप्यूटर, मोबाइल फोन, गीजर, प्रेशर कूकर, वैक्यूम क्लीनर, पानी के फिल्टर, इस्त्री, साइकिल, बर्तन, बारबेक्यू उपकरण, ज्योमेट्री बॉक्स, ग्लोब, नक्शे, कृषि मशीनरी, एचआईवी डायग्नोस्टिक किट, अधिकांश वैक्सीन और आयुर्वेदिक दवाएं शामिल हैं। यह वस्तुएं सामान्य उपयोग में आती हैं और इनके सस्ते होने से आम जनता को राहत मिलेगी।
वहीं अट्ठाईस प्रतिशत स्लैब से हटाकर अठारह प्रतिशत स्लैब में लाए जाने वाली वस्तुएं, जो अब सस्ती होंगी, उनमें एयर कंडीशनर, फ्रिज, वाशिंग मशीन, टीवी, मोटरसाइकिल सीट, कार, बीमा, प्लास्टिक उत्पाद, रेजर, प्रिंटर, एल्यूमिनियम फॉयल, चीनी सिरप, प्रोटीन कंसंट्रेट और टैम्पर्ड ग्लास आदि महत्वपूर्ण हैं। ये वस्तुएं या तो लक्जरी श्रेणी की हैं या फिर व्यावसायिक उपयोग में आती हैं और इनमें कर का इजाफा उपभोक्ताओं को महंगा पड़ता था।
इस प्रकार सरकार की यह योजना उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों को कम करने के साथ-साथ कर प्रणाली को भी अधिक पारदर्शी और सुगम बनाती है। इससे उत्पादन लागत में भी कमी आएगी और बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी।
इस सुधार से जुड़े निर्णय आगामी जीएसटी काउंसिल की बैठक में अंतिम रूप से लिए जाएंगे और उनके लागू होने के बाद आम जनता को जीएसटी प्रणाली में आए परिवर्तनों का लाभ स्पष्ट रूप से दिखेगा। इस कदम को सराकर देखना होगा कि वस्तुओं की कीमतों में वास्तविक गिरावट कितनी आती है और इससे बाजार में बेहतर स्थिरता आती है या नहीं।